बिहार : अल्पसंख्यकों को मोहने शत्रु आए - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 15 मई 2019

बिहार : अल्पसंख्यकों को मोहने शत्रु आए

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पटना,15 मई। बीजेपी के गढ़ दीघा में बिहारी बाबू शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हा की जनसभा आयोजित की गयी। बताते चले कि लंबे अरसे से बीजेपी से नाराज चल रहे थे। अन्तत: कांग्रेस का दामन थाम ही लिया। कांग्रेस में शामिल होते ही शॉटगन को पटना साहिब से टिकट दे दिया गया है, जिसके बाद अब पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा सीधे तौर पर बीजेपी के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से दो-दो हाथ करना पड़ रहा है। उनको भी मालूम है कि संघर्ष कांटे का है। साल 1984 में जब शत्रुघ्न ने अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी का कमल थामा तो पार्टी ने उनके दमदार व्यक्तित्व और जोरदार आवाज के कारण उन्हें उस समय पार्टी का स्टार प्रचारक बना दिया।साल 1992 में शत्रुघ्न को पहली बार नई दिल्ली लोकसभा सीट से राजेश खन्ना के खिलाफ़ उतारा गया।  इसके बाद साल 1996 और 2002 में एनडीए ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। 2003 और 2004 में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद साल 2009 और 2014 में बिहार की पटना साहिब सीट ने उन्हें सांसद के ताज से नवाजा। ऐसा बताया जाता है कि आज अपनी ही पार्टी से रिटायर हो चुके लाल कृष्ण आडवाणी शत्रु को राजनीति में लेकर आए थे। वक्त का तकाज़ा देखिए आज, न तो आडवाणी बीजेपी में रहे और न ही शत्रुघ्न पार्टी के रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी शत्रु से इतने प्रभावित थे कि सिन्हा को अटल जी ने 2003 में स्वास्थ्य मंत्री बनाया और 2004 में जहाजरानी मंत्री बना दिया। गौरतलब है कि वह ऐसे पहले अभिनेता हैं जो केंद्रीय मंत्री बने। 2009 और 2014 में पटना साहिब से आम चुनाव में जीत चुके शत्रुघ्न फिलहाल 16वीं लोकसभा के सांसद हैं. आज जिस पटना साहिब की सीट को लेकर सिन्हा बीजेपी के ‘शत्रु’ बने, वह साल 2009 में पहली बार वहां से चुनाव जीते और सांसद बने। इसके बाद 2014 के आम चुनावों में भी शॉटगन ने फिर से पटना साहिब से शानदार जीत हासिल की, इसके बावजूद भी बीजेपी आलाकमान ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पटना साहिब से उनका टिकट काट दिया और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को थमा दिया। शत्रुघ्न के टिकट पर जब रविशंकर प्रसाद पटना साहिब पहुंचे तो सिन्हा की नाराजगी बीजेपी नेतृत्व को लेकर खुलकर सामने आने लगी। वे  लगातार बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी करने लगे। सरकार के फैसलों की वह खुले मंचों से आलेचना करने लगे। बिहार की राजधानी पटना को साल 2008 में लोकसभा क्षेत्र के हिसाब से दो भागों में बांटा गया। पहला लोकसभा क्षेत्र पटना साहिब बना और दूसरा पाटलिपुत्र। साल 2009 में पटना साहिब में हुए पहले ही चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा ने विजयी ध्वज फहराया।  इसके बाद 2014 के आम चुनावों में भी बिहारी बाबू पटना साहिब लोकसभा से विजयी रहे। गौरतलब है कि पटना साहिब का चुनाव शुरू से ही फिल्मी सितारों के बीच होता रहा, लेकिन हर बार बाजी बिहारी बाबू ने मारी। शॉटगन ने साल 2009 में फिल्मी सितारे शेखर सुमन और 2014 में कुणाल सिंह को इसी लोकसभा से हराया। पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार और पटना साहिब की सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। वहीं, फतुहा सीट आरजेडी के नाम है। बताया जाता है कि पटना साहिब में यादव, राजपूत और कायस्थ वोटरों की संख्या ज्यादा है। शायद यही वजह रही कि बीजेपी ने शत्रुघ्न सिन्हा की जगह केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को टिकट दिया। आज बांसकोठी के पास जनसभा आयोजित की गयी।दानापुर की तरह दीघा भी बीजेपी का गढ़ है। यहां के विधायक संजीव चौरसिया हैं। इस क्षेत्र की जनता में विधायक का काफी पकड़ है। इस कथित पकड़ को कमजोर करने दीघा में बिहारी बाबू की जनसभा की गयी। काफी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग आए। मुस्लिम और ईसाई भी रहे। कुर्जी क्रिश्चियन कॉलोनी के क्लारेंस हेनरी उद्घोषक थे। राजद नेता पप्पू राय, रामानंद यादव, 'हम' के नेता पप्पू कुमार आदि मौजूद रहे।  अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी हैं शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हा। अपने संबोधन में बीजेपी छोड़ने का कारण गिनाया। देश में नोटबंदी लागू करने का निर्णय पीएम का रहा। यह बहुत दुर्भाग्य साबित हुआ। जीएसटी को लागू करने से कम आय वाले परेशान हो गए। कहा कि सोना विदेश चला गया। देश पर 32 लाख करोड़ कर्जा है। ऐसी सरकार को बदल देनी है।सत्ता परिवर्त्तन वक्त की मांग है। इसको साकार करने में आपका योगदान जरूरी है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा, सन ऑफ मल्लाह,पूर्व उप मुख्यमंत्री यशस्वी यादव और कांग्रेस अध्यक्ष मदनमोहन व उनके समर्थक लगे हैं। उन्होंने नारा लगाया जेल का फाटक टूटेगा लालू प्रसाद यादव छूटेंगे।  इनके साथ पूनम सिन्हा भी है।कहा जाता है कि कामयाब पति के पीछे पत्नी की हाथ रहती है।इसके आलोक में साथ-साथ चल रही है। सामाजिक कार्यकर्ता पप्पू राय भी चल रहे है। 

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