- राह बदलने में यकीन करने लगे हैं महादलित
देव प्रखंड के बीडीओ को चाहिए कि महादलित डिप्पी कुमारी को विकास मित्र में चयन करें। ऐसा नहीं कर सकते हैं तो आंगनबाड़ी सेविका जरूर बना देना चाहिए। ऐसा करने से अन्य महादलित युवतियों में शिक्षा के प्रति रूचि जगेगी। विश्वस है कि बीडीओ साहब जरूर करेंगे।
औरंगाबाद। कल्याणकारी सरकार के नागरिकों को लाभ पहुंचाने का उपाय ढूढ़ा जाता है। केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद के अनुसार अधिकांश लोगों के हाथों में मोबाइल है। इस मोबाइल से नागरिकों को लाभ हो। इसके लिए सरकार कृतसंकल्प है। सरकार जनता की, जनता के द्वारा और जनता के लिए होती है, भारत सरकार ने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म की स्थापना की है, जहां हर जिम्मेदार नागरिक राष्ट्र के निर्माण में योगदान के लिए अपने विचार रख सकता है। 26 जुलाई, 2014 को शुरू हुई। इस कार्य में गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति भी जुट गयी है। इसके माध्यम से दूरस्थ गांव में रहने वाली महिलाओं को डिजिटल की जानकारी दी जा रही है। औरंगाबाद जिले में है देव नामक प्रखंड। इस प्रखंड में है भवानीपुर नामक पंचायत। यहां पर बेलसारा गांव है। इस गांव के टोला में है एक मुसहर टोला। अनुसूचित जनजाति के मुसहर समाज के लोग रहते हैं। यहीं पर ललन भुइयां रहते हैं। ललन भुइयां की शादी 2015 में डिप्पी कुमारी से हुई है। ललन पति और डिप्पी पत्नी की एक लड़की है। विपरित परिस्थिति में ललन की पत्नी डिप्पी कुमारी मैट्रिक पास कर सकी। मैट्रिक पास होने के बाद डिप्पी पढ़ाई में ब्रेक नहीं लगाई। जितना हो सके पढ़ाई की और 10 जमा 2 में की परीक्षा दे दी। मगर इस बार डिप्पी पास नहीं हो सकी और वह फेल हो गयी।
खुद डिप्पी कुमारी कहती हैं कि वह घबराई नहीं और न ही हिम्मत हारी। एक राह में असफल होने पर द्वितीय राह चुन ली। उसनं गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति के द्वारा आयोजित प्रशिक्षण में शामिल हो गयी। दो दिवसीय डिजिटल लिटरेसी कार्यक्रम में भाग ली। इस डिजिटल लिटरेसी कार्यक्रम में मोबाइल को आॅन और आॅफ करने के अलावे इंटरनेट चलाने की जानकारी दी गयी। प्रगति ग्रामीण विकास समिति की ओर से मोबाइल सेट दी गयी। इसी से प्रशिक्षण दिया गया। डिप्पी कुमारी कहती हैं कि यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद 700 साक्षर और निरक्षरों को डिजिटल लिटरेसी से जोड़ना है। उनको मोबाइल के सहारे फोन और नेट चलाने की जानकारी देनी है। डिप्पी कहती हैं कि अभी तक 700 के लक्ष्य को 300 से अधिक लोगों को जोड़कर पूरा करने में सफल हो गयी है। 400 और लोगों को जोड़ना है। डिजिटल लिटरेसी के नवसाक्षरों को इंटरनेट के माध्यम से अन्य विषय की जानकारी दी जा रही है। इसमें नवसाक्षर निपूर्ण हो रही हैं। फिलवक्त मोबाइल के सहारे मनोरंजन की दुनिया में विचरण करने लगी हैं। कुछ तो बेहतर ढंग से नेट चलाकर दिनचर्या के कार्यों में उपयोग करने लगी हैं। गूगल सर्च करके सिलाई और कटाई की डिजायन की जानकारी ले रही है। डिप्पी कहती हैं कि कुछेक नवसाक्षर आॅन लाइन आवेदन करना, बिजली बिल भुगतान करना, टीवी बिल जमा करना आदि करने लगी हैं। पुत्रवधुओं द्वारा डिजिटल लिटरेसी से फायदा उठाते देख घर की सास,ननद और गोतनी को लिटरेसी कार्यक्रम से जुड़ने लगी हैं। जो सकारात्मक कदम है। मंजू डूंगडूंग कहती हैं कि डिप्पी कुमारी को 3 गांवों में जाकर डिजीटल लिटरेसी प्रोगा्रम चलाना है। इसके एवज में महादलित डिप्पी को प्रत्येक माह 1000 रू. प्रोत्साहण राशि दी जाती है।
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