- आवासीय भूमि को लेकर पतरघट प्रखंड पर करेंगे क्रांति की शुरूआत
द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन लेने के बावजूद जब अंग्रेज भारत को स्वतंत्र करने को तैयार नहीं हुए तो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में आजादी की अंतिम जंग का ऐलान कर दिया जिससे ब्रितानिया हुकूमत में दहशत फैल गई। इस आंदोलन की शुरुआत नौ अगस्त 1942 को हुई थी इसीलिए इतिहास में नौ अगस्त के दिन को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है। 9 अगस्त की रात को कांग्रेस के बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए। महात्मा गांधी को भी ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया।
सहरसा। इस जिले में है पतरघट प्रखंड। इस प्रखंड में है धबौली पश्चिम पंचायत। इस पंचायत में है कहरा गांव । यहां काफी संख्या में महादलित मुसहर समुदाय के लोग रहते हैं। आजादी के 72 साल के बाद भी आवासीय भूमिहीन हैं। सड़क के किनारे किसी तरह से झोपड़ी बनाकर जीवन व्यापन करते हैं। आवासीय भूमिहीन लोगों ने एकता परिषद के बैनर तले ‘लाखों वंचितों के आजीविका के आवासभूमि एवं श्मशान के अधिकारों के लिए- एक दिवसीय जनजुटान‘ कार्यक्रम आयोजित किया। बताते चले कि सहरसा जिले के अनेक लोग सत्याग्रह में शामिल हुए थे। इसमें ओमप्रकाश सदा के नेतृत्व में पतरघट प्रखंड के लोग लगातार एकता परिषद के द्वारा आयोजित 2007 में जनादेश, 2012 में जन सत्याग्रह और 2018 में जनांदोलन में भाग लिए थे। ग्वालियर से शुरूआत पदयात्रा में शामिल होने वाले सत्याग्रही आवासीय भूमि जुटान के नाम पर जमा हुए थे।इसके बाद एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी की अध्यक्षता में बैठक की गयी। इस बैठक में बिहार सरकार की आलोचना की गयी। आवासीय भूमिहीनों को दस डिसमिल जमीन देने का प्रावधान सरकार बना रखी है मगर उसका बेहतर ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। सरकारी प्रावधान के अनुसार अगर गैर मजरूआ भूमि नहीं है तो सरकार जमीन खरीदकर देगी। मगर ऐसा नहीं हो रहा है। इसके कारण महादलितों में आक्रोश व्याप्त है। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि शहीद दिवस के अवसर पर 9 अगस्त 2019 को पतरघट प्रखंड में भूमिहीन परिवार आवास भूमि की मांग को लेकर निर्णायक जनजुटान करेंगे। इस क्षेत्र के एकता परिषद के कार्यकर्ता ओमप्रकाश सदा ने कहा कि हमलोग व्यापक तैयारी कर रहे हैं। इसमें मध्यप्रदेश और पटना के भी साथी भाग लेने आएंगे। यह कार्यक्रम अपने आप में अनोखा होगा।
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