अरुण कुमार (आर्यावर्त) बिहार में बहार है ,नीतीश मोदी की सरकार है , हम कलाकारों को उद्धारक का इंतजार है .......बिहार को छोड़ अन्य राज्यों की सरकार सिनेमा और सिनेमाई कलाकारों के प्रति जागरूक है जिसका प्रमाण आये दिन अन्य राज्यों में बनने वाली फिल्मों को सरकारी अनुदान मुहैया कराके की जाती है ,बिहार के विभिन्न जिलों में सिनेमा का निर्माण आये दिन सरकारी उदासीनता के वावजूद होते रहता है ,अकेले बेगूसराय ने दर्जनाधिक प्रदर्शित फिल्म का निर्माण किया जिसमें जट-जटिन (हिंदी)ने भारत बर्ष की सबसे अधिक अवार्ड जितने का रिकार्ड बनाई ,चौहर (हिंदी) ने देश के विभिन्न राज्यों में अच्छा प्रदर्शन किया ,भोजपुरी भाषा की टूटे न सनेहिया के डोर काफी सुर्खियां बटोरी , बलमा रंगरसिया ,छोटकी भौजी से घरेलू फिल्मों को काफी पहचान मिली , हमार कर्तव्य , गंगा किनार पिरितिया हमार , लव के सौदा , मुखिया जी की लव स्टोरी ,दारू आदि फिल्मों ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों को सन्देश एवं सन्तुष्टि प्रदान की , "स्वच्छता" लघु फिल्म राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त की , "शराबी दुल्हा " माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून को मजबूती प्रदान की " दहेज दानव " दहेज प्रथा और " "दीया जले मजार पे " के निर्देशक ने जातिप्रथा पर करारा प्रहार कर खूब सुर्खियां बटोरी , कई फिल्में प्रदर्शन को तैयार है जिसमें लव यू दुल्हिन (मैथिली) "सैंया ई रिक्शावाला ,ये कैसा इश्क़ , सनम दिल ले गईल ,चोर नo 1 , प्यार किया नही जाता (भोजपुरी), अपराजिता , मृत्युभोज , शराब मुक्त बिहार (लघु फिल्म),......जागो सरकार जागो,कुंभकर्णी निद्रा त्यागो।हम कलाकारों के लिये कुछ तो करो,बिहार में एक फ़िल्म सिटी दो और फ़िल्म निर्माण के लिये आर्थिक सहयोग भी प्रदान करो ताकि बिहार से भी उच्च से उच्च कोटि की फ़िल्म बनती रहे।
सोमवार, 3 जून 2019
बिहार सरकार फ़िल्म उद्योग के लिये सोचें कुछ अन्य प्रदेश की तरह
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