बिहार : क्या नीतीश कुमार 2017 की तरह राह बदल लेंगे? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 3 जून 2019

बिहार : क्या नीतीश कुमार 2017 की तरह राह बदल लेंगे?

  • महागठबंधन के नेताओं के बीच नीतीश कुमार को लेकर कुछ-कुछ होने लगा है

2 जून को जदयू के इफ्तार पार्टी में हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी गए। उस दिन सीएम नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी ने हाथ मिलाएं। 3 जून को हम के इफ्तार पार्टी में सीएम नीतीश कुमार गए। यहां पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सीएम नीतीश कुमार के सामने हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाएं तो नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी के साथ दिल मिला लिया। मौके पर बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने लाइव कार्यक्रम देखा। इस खेल को देखकर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी खुद की आंखों पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे।
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पटना,03 जून। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ मधुर संबंध की जोरदार चर्चा है। यही तो राजनीति है भाई जी। हां...हां.. भाई इसी को राजनीति कहते है। देश में साम्प्रदायिक और गैर साम्प्रदायिक होने की खेल जारी है। जब हित साधना है तो कथित साम्प्रदायिक दोस्त बन जाते हैं। मौका मिलते ही साम्प्रदायिक के साथ रहते हैं और गैर साम्प्रदायिक घोषित करते रहते हैं। 

जानकार लोगों का कहना है कि बीजेपी और उनके सहयोगी दलों के साथ केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रीत्वकाल में नीतीश कुमार केन्द्रीय थे। उसके बाद बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सत्तासीन रहे। इस बीच कोसी प्रमंडल में कोसी बाढ़ के दौरान सीएम नरेंद्र भाई मोदी ने गुजरात से  कोसी बाढ़ पीड़ितों की सहायतार्थ राशि भेजी थी, तो सीएम नीतीश कुमार ने उक्त राशि को वापस करा दी थी। इसके बाद नरेन्द्र भाई मोदी और नीतीश कुमार जी का संयुक्त फोटो प्रकाशित होने पर बवाल मच गया। जो गंभीर बन गया। बिहार सरकार के मुखिया ने बीजेपी के नेताओं को भोज दिया था। अंतिम समय में नीतीश कुमार ने उक्त भोज कार्यक्रम को ही रद्द कर दिया। इस तरह के व्यवहार होने से नरेद्र भाई मोदी को जोरदार झटका लगा। जो समय समय पर प्रकट करते रहते। उन्होंने नीतीश कुमार के डीएनए पर ही सवाल उठा दिया। बिहार को स्पेशल राज्य के दर्जा देने की नीतीश कुमार की मांग पर नरेन्द्र भाई मोदी जमकर उपहास उड़ाना शुरू कर दिया। 10 करोड़ दे दूं...20 करोड़ दे दूं... लो दे दिया। यह कहकर उपहास उड़ाते रहे। इन दोनों के बीच में संबंध कटुपन हो चला। इसके आलोक में नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को बिहार का सीएम बना दिया। बाद में तो सीएम जीतन राम मांझी ने बीजेपी के सहयोग लेकर नीतीश कुमार पर ही प्रहार करने लगे। इससे आजीज होकर नीतीश कुमार ने खुद ही सीएम बन गए। बीजेपी से दामन झटकाकर राजद के साथ मिलकर चुनाव लडे़ और सीएम बन गए। इस बीच बीजेपी के नेताओं ने राजद पर लगातार हमला करने लगे। सीएम नीतीश ने राजद से हटकर बीजेपी के साथ सरकार बना लिए। जो अभी भी चल रहा है। 

इस बीच केन्द्र में सत्ता परिवर्तन होने पर मंत्री मंडल गठित हुआ। इसमें जदयू को सांकेतिक प्रतिनिधित्व देने पर जदयू खफा हो गए। सांसद की संख्या पर हिस्सेदारी देने की मांग करने लगे। इसका बदला सीएम नीतीश कुमार ने बिहार मंत्रीमंडल का विस्तार किये। इसमें बीजेपी को प्रतिनिधित्व नहीं दिए। इस जैसा का तैसा खेल में बीजेपी और जदयू में नजदीकिया में दूरिया होने गली। वही दूरिया नजदीकिया बनने लगी। बीजेपी के इफ्तार पार्टी में जदयू के लोग नहीं गए। जदयू के इफ्तार पार्टी में बीजेपी के लोग नहीं गए। 2 जून को जदयू के इफ्तार पार्टी में हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी गए। उस दिन सीएम नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी ने हाथ मिलाएं। 3 जून को हम के इफ्तार पार्टी में सीएम नीतीश कुमार गए। यहां पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सीएम नीतीश कुमार के सामने हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाएं तो नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी के साथ दिल मिला लिया। मौके पर बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने लाइव कार्यक्रम देखा। इस खेल को देखकर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी खुद की आंखों पर विश्वास नहीं कर पा रहे थे।  जानकार लोगों का कहना है कि 2017 में इफ्तार पार्टी के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने राजद के सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव से दूरिया बनाएं थे। इसके एक माह के बाद राजद को टा-टा-बाई-बाई कहकर बीजेपी के दामन पकड़ लिए थे। ठीक उसी राह पर नीतीश कुमार चल रहे हैं। 2019 के इफ्तार पार्टी में बीजेपी नेता और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से दूरिया बना लिये हैं। अब कयास लगा जा रहा है कि क्या नीतीश कुमार 2017 की तरह राह बदल लेंगे? यह तो वक्त ही बताया गया। इधर राजद का भी रूख मुलायब होते चला जा रहा है।


-आलोक कुमार-

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