अभी तक केवल मुसलमान ही अध्यक्ष बने हैं बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग में। श्री हारूण रसीद, श्री जाबिर हुसैन, श्री सोहेल अहमद,नौशाद अहमद, मो.सलाम और डा. प्रो. युनुस। अल्पसंख्यक में द्वितीय पायदान में रहने वाले ईसाइयों को उपाध्यक्ष बनाने कर शांत कर दिया जाता है। इसको लेकर ईसाइयों को लेकर अन्य धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों में आक्रोश व्याप्त है।
पटना,29 जून। सूबे में एक अध्यक्ष के बल पर चल रहा है बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग। अध्यक्ष मोहम्मद सलाम के नेतृत्व में सदस्यों ने 17.5.2017 को त्याग-पत्र दे दिया है। इसके बाद 2019 में मो.युनुस को अध्यक्ष बनाया गया है। इन्हीं के बल पर आयोग लड़खड़ाकर चल रहा है। यह हाल गठन के 48 साल के बाद हुआ है। अधिसूचना संख्या-5742ध्सी दिनांक 26.4.71 द्वारा धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यक आयोग के गठन का आदेश निर्गत किया जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री तथा सदस्य सचिव लोक शिकायत आयुक्त श्री एस0 आलम को बनाया गया। अधिसूचना के संकल्प में यह कहा गया कि भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को चाहे वे किसी र्धम या सम्प्रदाय के हो समान मौलिक अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद-15 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य के किसी नागरिक के प्रति धर्म, जाति, जन्मस्थान आदि के आधार पर भेदभाव नही बरतेगा। उसी तरह अनुच्छेद-16 में यह उपबंध है कि कोई नागरिक धर्म,जाति, जन्मस्थान आदि के आधार पर राज्य के अंर्तगत किसी भी नियुक्ति के लिए अयोग्य नही समझे जायेंगे और न इस संबंध में उनके प्रति इस आधार पर कोई भेदभाव बरता जायेगा। अनुच्छेद-25 के अनुसार प्रत्येक धर्म के मानने वाले को धार्मिक उद्देश्य के लिए अपनी संस्था स्थापित करना तथा उसकी व्यवस्था करने का पूर्ण अधिकार है। अनुच्छेद - 30 के अंर्तगत सभी अल्पसंख्यक चाहे वे किसी भी धर्म, भाषा या जाति का हो, अपनी शैक्षणिक संस्था स्थापित करने का पूर्ण अधिकार है। इस अनुच्छेद में यह भी उपबंध है कि ऐसी शैक्षणिक संस्था को सहायता देने में राज्य भी किसी प्रकार का भेदभाव नही बरतेगा।
1. संविधान के उपबंध के अतिरिक्त राष्ट्रीय एकता परिषद में भी समय-समय पर अल्पसंख्यक के अधिकार की रक्षा के लिए बहुत सारे सुझाव दिये है। इन सुझावों पर राज्य सरकार ने यथासंभव कार्रवाई भी की है। 2. संविधान को लागू हुए 21 वर्ष हो गये फिर भी कुछ सम्प्रदायों के बीच वैमनस्य और अविश्वास की भावना अभी नही मिटी है। कुछ लोगों की ऐसी शिकायत और धारणा है कि संविधान के अन्तर्गत दिये गये मौलिक अधिकारों का उपयोग करने का उन्हे पूरा अवसर नही दिया जा रहा है। 3. भाषाजात अल्पसंख्यकों की धारणा और शिकायत है कि उनकी समस्याओं का समुचित सामाधान नही हो पाया है। इस संबंध में भारत सरकार के भाषाजात अल्पसंख्यकों के आयुक्त तथा 1961 में मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन की विभिन्न अनुशंसाओं के अनुसार बहुत सारी कार्रवाई की गई है। फिर भी, भाषाजात अल्पसंख्यकों के बीच ऐसी भावना है कि उनके न्यायोचित तथा संवैधानिक अधिकारों की पूरी रक्षा नही की जा रही है। 4. राज्य सरकार की यह नीति है कि सभी वर्गों और विशेषकर अल्पसंख्यकों को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों की पूर्ण रक्षा हो जिससें वे देश के विकास में अपना सहयोग प्रदान करें। सरकार ने बिहार राज्य धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया जिसके अध्यक्ष एवं सचिव को छोड़कर 23 सदस्य थे।1. संविधान में विभिन्न सम्प्रदायों को जो मौलिक अधिकार दिये गये हैं उनका पालन किस हद तक हो रहा है और यदि कमी है तो पूरा करने के लिए कौन से उपाय उपेक्षित हैं। 2. राष्ट्रीय एकता परिषद द्वारा जो विभिन्न अनुशंसा समय-समय पर की गई है उसका अनुपालन किस हद तक हो रहा है और इसकी कमी को किस तरह पूरा किया जा सकता है। 3. भाषाजात अल्पसंख्यकों को संविधान में जो अधिकार दिये गये हैं उसका पालन किस हद तक हो रहा है और इसमें कोई कमी है तो उसे दूर करने के लिए क्या आवश्यक है। 4. भाषाजात अल्पसंख्यको के संबंध में भारत सरकार की नीति 1961 के मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन में दिये गये सुझाव तथा समय-समय पर भाषाजात अल्पसंख्यकों के आयुक्त की अनुशंसा पर अपेक्षित कार्रवाई हुई है या नही और यदि नही तो क्यों और इसे पूर्ण रूप से कार्यान्वित करने के लिए कौन सी कार्रवाई आवश्यक है।
मुख्यमंत्री भी रहे हैं आयोग के अध्यक्ष
बताते चले कि 19.08.1972 को आयोग का पुर्नगठन किया गया तथा मुख्यमंत्री उसके अध्यक्ष एवं अब्दुल कयूम अंसारी उसके उपाध्यक्ष बनाए गये तथा सदस्य सचिव का पद श्री नीतीश्वर प्रसाद, सदस्य, विधान सभा को दिया गया। पुनः 27.11.1975 को इसका पुर्नगठन करते हुए मुख्यमंत्री को अध्यक्ष एवं श्री नीतीश्वर प्रसाद को सचिव बनाया गया। दिनांक 27.11.1976 को फिर आयोग का पुर्णगठन किया गया तथा श्री जव्वार हुसैन, सासंद को अध्यक्ष तथा श्री नीतीश्वर प्रसाद सदस्य सचिव बनाये गये। 01.11.1977 को इस आयोग का पुर्नगठन हुआ तथा मुख्यमंत्री अध्यक्ष एवं श्री तकी रहीम उपाध्यक्ष मनोनित हुए। गृह विशेष विभाग के उपसचिव श्री सरयु प्रसाद सिंह, सदस्य सचिव बने। 01.06.1981 को आयोग का पुर्नगठन करते हुए मुख्यमंत्री पदेन अध्यक्ष हुए तथा उपाध्यक्षों की संख्या एक से बढ़ा कर दो हो गयी। उपाध्यक्ष के रूप में श्री हारून रशीद एवं श्री जोगिन्दर सिंह ‘जोगी‘ को मनोनित किया गया। संयुक्त सचिवध्उपसचिव, गृह विशेष, सदस्य सचिव मनोनित किये गये। 17.07.1989 को एक उपाध्यक्ष का दर्जा बढ़ा कर कार्यकारी अध्यक्ष का कर दिया गया तथा श्री हारून रशीद, कार्यकारी अध्यक्ष मनोनित हुए और उपाध्यक्ष श्री जोगीन्दर सिंह जोगी को ही बनाया गया। श्री हारूण रशीद 18.10.1990 तक कार्यकारी अध्यक्ष बने रहे तथा 19.10.1990 से श्री जाबिर हुसैन को कार्यकारी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष श्री जोगिन्दर सिंह तथा श्री एस० दास बनाए गये।
1991 में बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम बना
इसमें यह प्रावधान किया गया कि आयोग के लिए एक अध्यक्ष दो उपाध्यक्ष एवं आठ सदस्य जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किए जाएगे। अधिनियम के आलोक श्री जाबिर हुसैन को 24.02.1994 को अध्यक्ष मनोनित किया गया जिन्हो्रने 10.04.1995 को त्याग पत्र दे दिया। तत्पश्चात 12.10.1995 को प्रो० सुहैल अहमद को बिहार राज्य अल्पसंख्यक अयोग का अध्यक्ष मनोनित किया गया। जो आयोग के अध्यक्ष के रूप में 22.07.2006 तक पदासीन रहे। नवम्बर 2005 आयोग के लिए सुनहरा युग आरम्भ हुआ जब दलितों पीड़ितों, पिछड़ी एवं अल्पसंख्यकों के मसीहा के रूप में श्री नीतीश कुमार का बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में पदापर्ण हुआ। उन्होंने बिहार में अल्पसंख्यकों विशेष कर मुसलमानों की गरीबी, आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक पिछड़ापन से चिंतित होकर उसका गहराई से अध्ययन किया और उनकी समस्याओं के निराकरण का बीड़ा उठाया। इस संदर्भ में पहले उन्होने अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन किया। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की अधिसूचना सं० 1284 दि० 05.08.2006 द्वारा आयोग का पुनर्गठन करते हुए श्री नौशाद अहमद, अध्यक्ष एवं दो उपाध्यक्ष श्री सरदार चरण सिंह , श्री फादर पीटर अरोक्कास्वामी एंव आठ अन्य सदस्यों को मनोनित किया गया। पुनः अधिसूचना सं0 457 दि0 22.01.2009 द्वारा आयोग का पुनः गठन हुआ जिसके द्वारा श्री नौशाद अहमद अध्यक्ष, डाॅ0 कैप्टन दिलीप कुमार सिन्हा एवं श्री सरदार चरण सिहं उपाध्यक्ष एंव आठ सदस्य मनोनित किये गये। वर्ष 2015 में अधिसूचना संख्या 1069, दिनांक 05.08.2015 द्वारा आयोग का अगले कार्यकाल के लिए गठन किया गया। मोहम्मद सलाम अध्यक्ष बनाये गये तथा एम्ब्रोस पैट्रिक एंव डॉक्टर कप्तान दिलीप कुमार सिन्हा उपाध्यक्ष मनोनित हुए। सदस्य के रूप में कुलवंत सिंह सलूजा, मोहम्मद अब्दुल्लाह, अहमद अली तमन्ने मनोनित किए गये। मोहम्मद सलाम अध्यक्ष तथा एम्ब्रोस पैट्रिक एंव डॉक्टर कप्तान दिलीप कुमार सिन्हा उपाध्यक्ष तथा तीनों सदस्य दिनांक 17-15-2017 को त्याग - पत्र दे दिया है अभी डा.प्रो. युनुस अध्यक्ष हैं।लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर जेल जाने वाले जौर्ज केरोबिन को आयोग का उपाध्यक्ष बनाने की मांग जोरों से जारी है।
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