झारखण्ड : फादर स्टेन स्वामी के आवास नामकुम में छापामारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 20 जून 2019

झारखण्ड : फादर स्टेन स्वामी के आवास नामकुम में छापामारी

  • छापामारी मारकर महाराष्ट्र पुलिस वापस
  • फादर स्टेन स्वामी ने पत्रकारों से कहा कि कानून के तहत कार्रवाई होने पर पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध

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रांची। आज मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के घर पर महाराष्ट्र और झारखंड पुलिस मिलकर छापेमारी की। छापेमारी फादर स्टेन स्वामी के नामकुम थाना क्षेत्र स्थित आवास पर सुबह सात बजे से शुरू हुई। बताया जा रहा है कि भीमा कोरेगांव मामले में दूसरी बार फादर स्टेन स्वामी के घर छापा पड़ा है। महाराष्ट्र पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि फादर स्टेन आवास पर कई दिनों संदिग्ध लोगों की बैठक हो रही है इसी सूचना के आधार पर आज महाराष्ट्र एटीएस की टीम ने छापेमारी की। छापेमारी कर रही एटीएस की टीम फिलहाल कुछ भी बताने से इनकार कर रही है। इससे पहले महाराष्ट्र पुलिस ने 28 अगस्त 2018 को फादर स्टेन के आवास पर छापेमारी की थी। और उनके लैपटॉप सहित कई अन्य महत्वपूर्ण कागजात भी जब्त कर अपने साथ ले गई थी। आज भी 12 जून 2019 को हार्ड डिक्स, पैन ड्राइव एवं अन्य दस्तावेज ले गए। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के कोरेगांव के आंदोलन के दौरान 1 जनवरी 2018 को कई गाड़ियों और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में फादर स्टेन स्वामी पर मुकदमा दर्ज है। उसी मामले को लेकर महाराष्ट्र पुलिस की टीम रांची पुलिस के सहयोग से स्टेन स्वामी के घर पर छापामारी की।  फादर स्टेन स्वामी मूल रूप से केरल के रहने वाले हैं और बीते 50 वर्षों से झारखंड में रहकर काम कर रहे हैं। वे येसु समाजी पुरोहित हैं। कई जगहों पर जाकर बैठक करते हैं। सामाजिक कार्य करने को प्रोत्साहित करते हैं। पहले चाईबासा में रहकर आदिवासी संगठनों के लिए काम करते रहे। फिर 2004 में रांची आए और नामकुंम बगेईचा (जो आदिवासी अधिकारों के लिए काम करता है) में आदिवासी अधिकार, विस्थापन, आदिवासियों के जल, जंगल के सवाल पर काम करते रहे। हाल के दिनों में झारखंड के विभिन्न जिलों में आदिवासी कैदियों के लिए काम कर रहे हैं. स्टेन के समर्थकों के मुताबिक, स्टेन वैसे आदिवासियो के लिए काम कर रहे हैं जिन्हें नक्सली बताकर जेल में डाला गया है. स्टेन की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर है.

क्या है मामला
यह पूरा मामला पुणे के भीमा कोरेगांव में वर्ष 2018 की शुरुआत में हुई हिंसा की घटना से जुड़ा है। पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में यलगार परिषद के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाये गये कानून के तहत एफआईआर दर्ज की गयी थी। यह यलगार परिषद 31 दिसंबर 2017 को आयोजित की गयी थी। दरअसल, पुणे में 1 जनवरी 2018 को कथित रूप से फादर स्टेन स्वामी समेत अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा दिये गये भाषणों की वजह से अगले दिन बड़े स्तर पर हिंसा हुई थी। भीमा नदी के किनारे स्थित स्मारक के पास पत्थरबाजी हुई थी और आगजनी की गयी थी। दो गुटों के बीच झड़प हुई थी  पुलिस ने भीड़ और हालात पर काबू करने के लिए आंसू गैस और लाठी चार्ज का इस्तेमाल किया था। पुलिस की जांच में पता चला कि हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई है, 80 गाड़ियों को नुकसान पहुंचा है। हिंसा में शामिल लोगों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल की गयी थी। पूछताछ के लिए कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। इस हिंसा के बाद तीन जनवरी को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया गया था। हिंसा के दौरान एक युवक राहुल फंतागले की मौत हो गयी थी। महाराष्ट्र पुलिस के रवाना होने के बाद फादर स्टेन स्वामी ने पत्रकारों से कहा कि कानून के तहत कार्रवाई होने पर पूर्ण सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इनके साथ दीवार बनकर अनेक सामाजिक कार्यकर्ता परिसर में रहे। हर पल सामाजिक वीरांगना दयामनी बारला रहीं। इनको झारखंड की आयरन लेडी के रूप में भी जाना जाता है।

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