भोपाल,5 जून। एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.व्ही ने कहा है आज बड़े पैमाने पर संसाधनों का शोषण हो रहा है। वहीं बाजारु प्रवृत्ति व जलवायु परिवर्तन मुख्य कारक व चुनौतियां भी है। आज जय जगत पदयात्रा शिविर का दूसरा दिन है। इस अवसर पर कहा गया कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और बाजारी प्रवृत्ति ने समाज में असमानता के साथ ही जलावायु परिवर्तन के लिए बहुत सारी चुनौतियां पैदा हुई है जिससे विश्व समुदाय की शांति और न्याय तक पहुॅंच दूर हो गयी है। इसका पूरा खामियाजा समाज के अंतिम हाशिये पर खड़े समुदाय को भुगतना पड़ रहा है। उक्त उद्गार प्रख्यात गांधीवादी राजगोपाल पी.व्ही ने गांधीभवन में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में कही। प्रख्यात गांधीवादी और एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पी.व्ही ने कहा कि देश में आजादी के बाद सरकार ने सामाजिक न्याय के लिए संस्थाओं का गठन तो कर दिया किंतु केवल भवन निर्माण और दीवाल से न्याय नहीं मिल सकता है। क्योंकि वहां पर बैठे हुए लोग केवल नौकरी करते हैं और उनमें मालिक के प्रति भक्तिभाव करने वाले होते हैं जिनको शिक्षा से कोई वास्ता सरोकार नहीं होता है। नौकरी की भावना से आये लोगों से समाज को न्याय नहीं मिल सकता है, इसके लिए सच को सच कहने की हिम्मत की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने दिमाग को सोचने और हाथ में काम करने की ताकत बढ़ाने वाली शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया था। किंतु दुर्भाग्य से आज मैकाले की शिक्षा पद्वति के कारण मरता हुआ दिल और बढ़ते दिमाग की अवस्था शांतिपूर्ण और अहिंसक समाज के लिए ठीक नहीं है। जय जगत पदयात्रा की तैयारी के लिए आयोजित प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने प्रथम सत्र में गांधी भवन में स्थित गांधी, विनोबा और जयप्रकाश के चित्र प्रदर्शनी को देखकर परिचर्चा का आयोजन किया। जिसमें सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, ग्राम स्वावलम्बल और ग्राम स्वराज पर गांधी के कार्यो को समाज और पूरी दुनिया में प्रचार प्रसार पर बल दिया गया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य के मुख्य बातों गरीबी उन्मूलन, समावेशन, शांति और अहिंसा तथा जलवायु परिवर्तन पर व्यापक परिचर्चा हुई। सभी प्रतिभागियों ने माना कि किसी भी प्रकार की गरीबी मानवता के लिए कलंक है। प्राकृतिक संसाधनों के न्यायपूर्ण बंटवारा से बहुत हद तक असमानता पर काबू पाया जा सकता है और शांति व अहिंसा को स्थापित किया जा सकता है। भोगविलासी जीवन पद्वति के विपरीत गांधीवादी जीवन पद्वति से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटा जा सकता है। इस सत्र का सहजीकरण रमेश शर्मा ने किया। ज्ञात हो कि इस शिविर में देश के 12 राज्यों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, जिसमें मध्यप्रदेश के संतोष सिंह, राकेश रतन, दिनेश , सरस्वती, कस्तुरी छत्तीसगढ के सीताराम सोनवानी, प्रशांत पी.व्ही, उत्तरप्रदेश से आसीमा, अंकित, महाराष्ट्र राजस्थान से मीनाक्षी कर्नाटक की प्रिया मणिपुर से सुरजीत असम से मृगांकु, उड़ीसा से बनमाली, बिहार से बोजो, दिल्ली से विक्रम, पश्चिम बंगाल से देवाषीश भाई इत्यादि प्रमुख हैं।
बुधवार, 5 जून 2019
आज बड़े पैमाने पर संसाधनों का शोषण हो रहा है : राजगोपाल
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