बिहार : चमकी बुखार मामले में बिहार सरकार ने नहीं लिया कोई सबक, गया में कहर जारी: माले - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 12 जुलाई 2019

बिहार : चमकी बुखार मामले में बिहार सरकार ने नहीं लिया कोई सबक, गया में कहर जारी: माले

माले विधायक दल ने किया गया का दौरा, जापानी बुखार से अब तक 33 में 8 बच्चे की मौत.चमकी के साथ-साथ अब डेंगू व चिकनगुनिया का भी खतरा.
chamki-fever-continue-bihar-cpi-ml
पटना 12 जुलाई 2019, भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम व तरारी विधायक सुदामा प्रसाद ने आज प्रेस बयान जारी करके कहा है कि चमकी बुखार मामले में बिहार सरकार ने किसी भी प्रकार का सबक नहीं लिया है. दोनों विधायक कल दिनांक 12 जुलाई को गया पहुंुचे थे और गया मेडिकल अस्पताल में जापानी बुखार के लक्षण से ग्रसित बच्चों व उनके परिजनों से मुलाकात की थी. जांच टीम में उनके अलावा पार्टी की राज्य स्थायी समिति के सदस्य व गया नगर सचिव निरंजन कुमार भी शामिल थे. नेताद्वय ने कहा कि मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने करीब 300 से अधिक बच्चों की जिंदगी खत्म कर दी और लू से मध्य बिहार के इलाके में सैंकड़ों लोग मारे गए. कहा जा रहा था कि बारिश होने के साथ इसपर रोक लग जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका है. अब बारिश शुरू होते ही गया में जापानी बुखार से बच्चे मर रहे हैं और इसके साथ-साथ डेंगू व चिकनगुनिया ने भी अपना असर दिखलाना शुरू कर दिया है. ये सारी बीमारियां भयानक गंदगी, मच्छरों के काटने व कुपोषण के कारण से हो रही हैं. मुजफ्फरपुर हादसे के बाद भी सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में सुधार का कोई उपाय नहीं किया. मंगल पांडेय जैसे नकारा स्वास्थ्य मंत्री अब तक अपने पद पर बने हुए हैं. ऐसा लगता है कि बिहार सरकार आम लोगों की जिंदगी से खेल रही है. गया व झारखंड के सीमावर्ती चतरा व पलामू जिले में बारिश के मौसम में जापानी बुखार का खतरा रहता है, जिसकी चपेट में 0-12 साल के बच्चे आते हैं. लेकिन इस पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. गया मेडिकल अस्पताल के अधीक्षक ने माले जांच टीम को बताया कि 11 जुलाई तक अस्पताल में कुल 33 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें अब तक 8 बच्चों की मौत हो चुकी है. कइयों की स्थिति अच्छी नहीं है. अस्पताल में आईसीयू की संख्या 30 है, जबकि यह मेडिकल अस्पताल गया, जहानाबााद, नवादा, औरंगाबाद, अरवल समेत झारखंड के चतरा व पलामू का भी भारी ढोता है. आम तौर पर मेडिकल अस्पतालों में आईसीयू की कमी रहती है. यदि सरकार ने मुजफ्फरपुर की घटना से कोई भी सबक लिया होता और आईसीयू व प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर इलाज का प्रबंध किया होता, तो इन मौतों को रोका जा सकता था. महज 30 इमरजेंसी बेड के साथ बच्चों का इलाज कैसे संभव है? मुजफ्फरपुर में मारे गए बच्चों पर देशव्यापी निंदा के बावजूद भी सरकार का ऐसा हाल है. गया में बच्चों की मृत्यु दर 25 प्रतिशत के लगभग है, उसमें किसी भी प्रकार की कमी नहीं आई है. यहां तक कि गया में ब्लड सैंपल की जांच का कोई साधन नहीं है, प्रतिदिन पटना के राजेन्द्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीच्यूट को ब्लड का सैंपल भेजा जा रहा है और फिर वहां से जांच रिपोर्ट आती है. भाकपा-माले इस मामले में बिहार सरकार के घोर संवेदनहीन रवैये की कड़ी आलोचना करती है और मांग करती है कि इस मामले में युद्ध स्तर पर राहत अभियान चलाया जाए. साथ ही, समय रहते व्यापक पैमाने पर कीटनाशक का छिड़काव करवाया जाए ताकि मच्छरों का प्रकोप कम हो सके और लोगों की जिंदगी बचाई जा सके.

कोई टिप्पणी नहीं: