पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता) : प्रदेश के थोक दवा विक्रेता अपनी मांगों के समर्थन में 20 जुलाई से सांकेतिक आम हड़ताल पर हैं। थोक दवा कारोबारी अपनी मांग पूरी होने तक कंपनी से दवा की खरीदारी नहीं करेंगे। शहर में हर रोज थोक दवा कारोबारी दवा कंपनी से करीब चार करोड़ की दवा खरीदते हैं और 14 से 18 प्रतिशत तक सरकार को जीएसटी देते हैं। इस हिसाब से हर रोज दवा कारोबारी करीब 72 लाख का जीएसटी सरकार को देते हैं। लेकिन दवा की खरीदारी बंद हो जाने से सरकार को प्रतिदिन 72 लाख का फटका लग रहा है। यदि सरकार उनकी मांग पूरी नहीं करती है तो 1 अगस्त से प्रदेश के सभी थोक व खुदरा दवा दुकान बंद कर देंगे। थोक दवा विक्रेता संघ के सचिव लालमोहन सिंह ने बताया कि सरकार दवा कारोबारियों के ऊपर लगातार नए नए नियम कानून बनाकर थोप रही है। जिस कारण दवा का कारोबार करना मुश्किल हो गया है। लाल मोहन ने बताया कि सरकार दवा दुकान में फार्मासिस्ट काे रखना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन प्रदेश में फार्मासिस्ट की भारी कमी है। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के नाम पर अधिकारी दवा दुकानदारों को परेशान करते हैं। प्रदेश में फार्मासिस्ट की पढ़ाई के लिए शिक्षण संस्थानों की कमी है। लालमोहन ने कहा दवा दुकान में पढ़े लिखे लोग ही काम करते हैं जो दुकान में वर्षों तक काम करने के बाद दवा के बारे में काफी जानकार हो जाते हैं। यदि सरकार वैसे लोगों को अनुभव के आधार पर फार्मासिस्ट का प्रमाण पत्र निर्गत कर दें तो फार्मासिस्ट की कमी को बहुत हद तक दूर किया जा सकता है। लालमोहन ने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों को पूरी नहीं करती है तो वे चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करेंगे।
पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता) : प्रदेश के थोक दवा विक्रेता अपनी मांगों के समर्थन में 20 जुलाई से सांकेतिक आम हड़ताल पर हैं। थोक दवा कारोबारी अपनी मांग पूरी होने तक कंपनी से दवा की खरीदारी नहीं करेंगे। शहर में हर रोज थोक दवा कारोबारी दवा कंपनी से करीब चार करोड़ की दवा खरीदते हैं और 14 से 18 प्रतिशत तक सरकार को जीएसटी देते हैं। इस हिसाब से हर रोज दवा कारोबारी करीब 72 लाख का जीएसटी सरकार को देते हैं। लेकिन दवा की खरीदारी बंद हो जाने से सरकार को प्रतिदिन 72 लाख का फटका लग रहा है। यदि सरकार उनकी मांग पूरी नहीं करती है तो 1 अगस्त से प्रदेश के सभी थोक व खुदरा दवा दुकान बंद कर देंगे। थोक दवा विक्रेता संघ के सचिव लालमोहन सिंह ने बताया कि सरकार दवा कारोबारियों के ऊपर लगातार नए नए नियम कानून बनाकर थोप रही है। जिस कारण दवा का कारोबार करना मुश्किल हो गया है। लाल मोहन ने बताया कि सरकार दवा दुकान में फार्मासिस्ट काे रखना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन प्रदेश में फार्मासिस्ट की भारी कमी है। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के नाम पर अधिकारी दवा दुकानदारों को परेशान करते हैं। प्रदेश में फार्मासिस्ट की पढ़ाई के लिए शिक्षण संस्थानों की कमी है। लालमोहन ने कहा दवा दुकान में पढ़े लिखे लोग ही काम करते हैं जो दुकान में वर्षों तक काम करने के बाद दवा के बारे में काफी जानकार हो जाते हैं। यदि सरकार वैसे लोगों को अनुभव के आधार पर फार्मासिस्ट का प्रमाण पत्र निर्गत कर दें तो फार्मासिस्ट की कमी को बहुत हद तक दूर किया जा सकता है। लालमोहन ने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों को पूरी नहीं करती है तो वे चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करेंगे।
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