16-17 जुलाई को आषाढ़ सुदी पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा रोगली पूर्णिमा कहा जाता है 16-17 जुलाई की मध्य रात्रि 1:00 बज करके 32 मिनट पर चंद्रग्रहण शुरू होगा जो 4:30 तक रात्रि में रहेगा सूतक काल शाम को 4:32 पर आरंभ होगा यह ग्रहण कई राष्ट्र सहित भारत देश में भी दिखाई देगा जहां ग्रहण दिखाई देता है उसका सूतक रहेगा शाम को 4:30 बजे बाद भोजन करना दान देना दान देना वंलेना मैसेज रहता है। सूर्य ग्रहण सूतक लग जाता है तब मंदिर के कपाट बंद रखे जाने दीपक जलाकर के अगरबत्ती लगा कर के भगवान का पूजन किया जा सकता है भजन किया जा सकता है। जोधा सूतक में ग्रहण में दिया जाता है वरदान राहु के निर्मित होता है। राहु का दान कौन लेता है आप सभी को अच्छी प्रकार से मालूम है। उस समय ग्रहण का सूतक लग जाता है उसके बाद भोजन करना सोच करना मना होता है। ग्रहण के समय तो सोच करना लघु शंका करना मना रहता है उसमें नहीं करना चाहिए। जिस नक्षत्र पर ग्रहण होता है उस नक्षत्र में 06 माह तक गृह प्रवेश मूर्ति प्रतिष्ठा यज्ञ आरंभ करना यह पूर्णाहुति करना या उस नक्षत्र में शादियां करना 06 माह तक बना रहता है जिस नक्षत्र में सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण हो उन नक्षत्रों में 06 महीने तक शादियां नहीं की जाती है। गृह प्रवेश यज्ञोपवीत संस्कार मूर्ति प्रतिष्ठा अनुष्ठान आरंभ करना ग्रैंड वाले नक्षत्र में 06 महीने तक मना रहता है। उस दिन गुरु पूर्णिमा होने की वजह से सूतक में कई भंडारे में भोजन नहीं करें। किसी गुरु के आश्रम पर या कहीं पर भी 4:30 बजे के बाद भोजन नहीं करें। उसके या दान लेना दान देना लेना मना होता है। दान देने वाले के लिए तो सर्वश्रेष्ठ होता है लेकिन जो दान लेता है वरदान कौन लेता है यह आप समझ जाइए ग्रहण समय में जब तक ग्रहण चलता रहे पूजा पाठ करते रहना चाहिए या भगवान के भजन करते रहना चाहिए लेकिन मंदिर के पट बंद रखना चाहिए।
--परमानंद पांडेय--
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