मधुबनी : 4 दिवसीय विटामिन ए कार्यक्रम को लेकर प्रशिक्षण कार्यशाला - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 8 जुलाई 2019

मधुबनी : 4 दिवसीय विटामिन ए कार्यक्रम को लेकर प्रशिक्षण कार्यशाला

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मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) आज सदर अस्पताल मधुबनी के सभागार में 17 जुलाई से चलनेवाली 4 दिवसीय विटामिन ए कार्यक्रम को लेकर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया । प्रशिक्षण में सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी , प्रखंड सामुदायिक। उत्प्रेरक एवं बाल विकाश परियोजना पदाधिकारी ने भाग लिया। सिविल सर्जन डॉ मिथिलेश झा ने जानकारी देते हुए कहा कि विटामिन ए की कमी से देश भर में प्रतिवर्ष 2. 5 लाख बच्चे अंधापन का शिकार हो जाता है। इस विटामिन ए की कमी से न केवल रतौंधी की बीमारी होती है बल्कि डायरिया  निमोनिया , खसरा आदि गंभीर बीमारी होने की संभावना हो जाती है। इसकी कमी होने से कई गंभीर संक्रामक बीमारी होती है  और बच्चों का शारिरीक , मानसिक विकाश अवरुद्ध हो जाता है।इसलिए बच्चों के लिए सुक्ष्म पोषक तत्व के रूप में विटामिन ए का होना बहुत जरूरी है। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ महेश चंद्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्यक्रम 17 जुलाई से लेकर 20 जुलाई 19 तक चलेगी। इस अभियान के दौरान बुद्धवार एवं शुक्रवार को टीकाकरण दिवस के दिन 9 माह से लेकर 5 साल तक के बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाई जाएगी । शेष दो दिनों में छूटे हुए बच्चों को आशा / आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा घर घर जाकर बच्चों को विटामिन ए की खुराक दी जाएगी । यूनिसेफ के प्रमोद कुमार झा ने बताया कि विटामिन ए के लिए प्रत्येक 6 माह पर चक्र चलाकर बच्चों को सूक्ष्म पोषक तत्व के रूप में इसकी खुराक दी जाती है , साथ ही नियमित टीकाकरण के दौरान भी मिजिल्स  रूबेला के साथ यह खुराक दी जाती है । विटामिन ए के दीर्घकालिक कार्यक्रम के रूप में विटामिन ए की खुराक के अतिरिक्त नवजात को मा का पहला गाढ़ा यानी ख़िरसापान कराने , 6 माह तक सिर्फ मा का दूध पिलाने , समुदाय को विटामिन युक्त आहार लेने हेतु जागरूक करना है। इसके लिए प्रत्येक आंगनबाड़ी , आशा कार्यकर्ता , सहयोगी संस्था यूनिसेफ , केयर आदि के द्वारा समुदाय को जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधि चलाई जाएगी ।  हर बच्चों तक विटामिन ए की खुराक पहुचाने , विटामिन ए युक्त आहार लेने , जन्म के प्रथम घंटा में बच्चों को ख़िरसापन कराने , 6 माह तक बच्चों को सिर्फ स्तनपान कराने से बच्चों को कई गंभीर बीमारी यथा रतौंधी , डायरिया , निमोनिया , आदि से बचा सकते हैं और शिशु मृत्यु दर को कम करने में यह बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा।  17 से  20 तक चलने वाली इस कार्यक्रम का जिला स्तर से लेकर समुदाय स्तर तक सघन पर्यवेक्षण किया जाएगा। प्रखंड स्तर पर इसकी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ बाल विकाश की होगी। प्रशिक्षण यूनिसेफ के SMC प्रमोद कुमार झा एवं जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ महेश चंद्रा ने दिया। इस कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ मिथिलेश झा , ACMO डॉ शम्भू प्रसाद सिंह ,DIO डॉ महेश चंद्रा ,  सीडीओ डॉ आर के सिंह , डीपीओ रश्मि कुमारी ,यूनिसेफ के प्रमोद कुमार झा,  IDSP के डॉ निशान्त , DCM नवीन कुमार दास , एवं केयर के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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