- मोबाइल जनित बीमारियों से ग्रसित हो रहे बच्चे
पूर्णिया (आर्यावर्त संवाददाता) : आजकल मोबाइल का शौक लोगों का सेहत बिगाड़ रहा है। खासकर छोटे छोटे बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं। हाथ में एंड्रायड मोबाइल लेकर बच्चे किसी दूसरी दुनिया में खोये रहते हैं। कई लोग तो अपनी जरूरत के लिए एंड्रायड मोबाइल रखते हैं लेकिन कम उम्र के बच्चों में इस तरह का मोबाइल रखना फैशन बन चुका है। लेकिन यह एंड्रायड मोबाइल बच्चों के लिए कितना घातक है यह बहुत कम लोग जानते हैं। आपके पास यदि एंड्रायड मोबाइल है और शाम को आप काम से फुर्सत होकर घर जाते हैं तो आपके हाथ से बच्चे मोबाइल गायब कर देते होंगे और बच्चों का मन बहलाने के लिए कुछ नहीं बोल पाते हैं। आपके इस प्यार और चुप्पी से बच्चे किन किन बीमारियों से ग्रसित हो सकते है इसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते हैं। एंड्रायड मोबाइल के कारण सबसे अधिक बच्चे और युवा वर्ग के लोग बीमार पड़ रहे है। ज्यादा देर मोबाइल देखने से आंख पर प्रत्यक्ष रूप से असर पड़ता है। उसके बाद दिमाग पर भी इसका असर पड़ता है। अस्पताल और क्लीनिकों में सबसे अधिक आंख की समस्या से ग्रसित बच्चे ही मिलते हैं। जानकारों की मानें तो मोबाइल ज्यादा देर प्रयोग करने से 90 प्रतिशत बच्चों के आंख में खराबी आ जाती है।
...ज्यादा देर मोबाइल का प्रयोग करने पर यह हो सकती है समस्या :
खासकर ज्यादा देर मोबाइल देखने पर बच्चों को आंख में दर्द, सिरदर्द, रेटिना में समस्या, आंख में पानी आना, जलन होना, आंख गरम हो जाना, धूंधलापन दिखाई देना और आंख में सूखापन हो सकता है।
...इन समस्याओं से बचने के उपाय :
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ एसके वर्मा ने बताया कि बच्चे यदि ज्यादा देर तक मोबाइल का प्रयोग करते हैं तो उसके आंख में सूखापन आ जाता है। आंख में चूभन जैसा होने लगता है यानी बच्चे सीबीएस के शिकार हो जाते हैं। इससे बचने के लिए बच्चों से मोबाइल को दूर रखें और कम से कम मोबाइल का प्रयोग करने दें।
...बच्चों की मानसिकता पर भी पड़ सकता है असर :
मनोवैज्ञानिक और मनोरोग विशेषज्ञ की मानें तो ज्यादा देर तक बच्चों को मोबाइल प्रयोग करने से आंख के साथ उसके मानसिकता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। सदर अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में कार्यरत नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ पल्लव कुमार बताते है कि मोबाइल बच्चों के लिए काफी हानिकारक है। मोबाइल की लत बच्चों को अपने पारिवारिक वातावरण से प्रभावित होता है। बच्चे अपने परिवार में जो देखता है वह भी वही करने लगता है। इसलिए बच्चे के सामने मोबाइल का प्रयोग करने से बचना चाहिए। पड़ोस और दूसरों की देखा देखी से बच्चों को दूर रखना चाहिए। बच्चों को मोबाइल के बदले खिलौना, खेलकूद और पढ़ाई की तरफ ध्यान आकर्षित करें। डॉ पल्लव ने कहा कि बच्चे अपने माता पिता, परिवार, दोस्त और समाज से अधिक मोबाइल को महत्व देने लगते हैं। बच्चों का जीवनशैली में एकाग्रता आ जाती है जिससे उसको जीवन में पढ़ाई और आगे बढ़ने में बाधक बनता है। मोबाइल के कारण बच्चों को आंख नाक कान की समस्या होने के साथ वह चिड़चिड़ापन हो जाता है। उसकी पाचन क्रिया और मानसिक संतुलन भी धीरे धीरे बिगड़ने लगता है। यहां तक कि मोबाइल पर ज्यादा देर टिकने के लिए वह नशा का भी सेवन कर सकता है। अपनी जरूरत पूरा करने के लिए वह अपने घर या बाहर चोरी भी कर सकता है। मोबाइल बच्चों के लिए एक नशा के जैसा है जिससे बच्चे मोबाइल के प्रति काफी आकर्षित होते हैं।
...मोबाइल पर आखिर क्या देखते है बच्चे :
डॉ पल्लव ने बताया कि जिस तरह गंदगी बीमारी को आकर्षित करती है ठीक उसी तरह मोबाइल बच्चों को भी आकर्षित करता है। मोबाइल पर पहले तो बच्चे कार्टून फिल्म या वीडियो गेम देखते हैं। बाद में मोबाइल के बारे में जैसे जैसे और भी जानकारी मिलती है फिर यू ट्यूब, फेसबुक, वाट्सएप्प, गुगल को खोल कर देखने लगते हैं। जिस कारण उसके दिमाग में निगेटिव, पॉजेटिव बातें आने लगती है। यदि एक बार कोई कार्यक्रम बच्चे के दिमाग में बैठ गया तो वह उसे बार बार देखने लगता है। जबकि यू ट्यूब, फेसबुक और गुगल बच्चों के लिए काफी हानिकारक है। जिसके कई बच्चे अपना पढ़ाई भी छोड़ देता है।
...समय पर सचेत होने से ठीक हो सकते हैं बच्चे :
मनोचिकित्सक डॉ राजेश कुमार भारती व मनो सामाजिक कार्यकर्ता जोय नाल ने बताया कि मोबाइल से बच्चे का सिर्फ आंख, नाक, कान और दिमागी हालत ही नहीं खराब होते हैं बल्कि इससे वह अपने परिवार और समाज से भी दूर रहने लगते हैं। जो बीमारी से भी काफी खतरनाक है। बच्चों में यदि मोबाइल की लत लग गई है और मोबाइल की लत छुड़ानी है तो अविलंब मनोरोग चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। बच्चे को ज्यादा देर तक मोबाइल नहीं देखने दें और यदि देखता है तो वह मोबाइल पर क्या देख रहा है इस पर नजर जरूर रखें। बच्चे को मोबाइल की आदत छोड़ाने के लिए उसका ध्यान पढ़ाई, खेल के प्रति आकर्षित करें।

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