248 वर्ष पुराने पूर्णिया जिला को इलेक्ट्रिक ट्रेन नसीब नहीं, आसपास के जिलों में जाने को करनी पड़ती है मशक्कत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 10 जुलाई 2019

248 वर्ष पुराने पूर्णिया जिला को इलेक्ट्रिक ट्रेन नसीब नहीं, आसपास के जिलों में जाने को करनी पड़ती है मशक्कत

- जिले में अंग्रेजों के समय में बिछाई गई रेल लाइन में छोटी लाइन को भले ही बड़ी लाइन में तब्दील कर दिया गया हो लेकिन नई रेल पटरी के दोहरीकरण व विद्युतीकरण का कार्य अाजतक पूरा नहीं हो पाया है
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कुमार गौरव । पूर्णिया : अपनी जीवट मानव सभ्यता के बीच 248 वर्ष पुराने पूर्णिया जिला को आज भी नई रेल लाइन की दरकार है। जिले में अंग्रेजों के समय में बिछाई गई रेल लाइन में छोटी लाइन को भले ही बड़ी लाइन में तब्दील कर दिया गया हो लेकिन नई रेल पटरी के दोहरीकरण व विद्युतीकरण का कार्य अाजतक पूरा नहीं हो पाया है। जबकि पूर्णिया से सटे मधेपुरा जिला तक विद्युती करण का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। हालांकि इलेक्ट्रिक ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं हो सका है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले वित्तीय वर्ष तक इस रूट पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा। पूर्णिया में आज भी रेलवे की सेवा उन्हीं क्षेत्रों में हैं जहां अंग्रेजों के समय में रेल पटरी बिछाई गई थी। जबकि जिले के धमदाहा और बायसी अनुमंडल की लाखों आबादी आज भी रेलवे की सुविधा से वंचित है। दालकोला और पूर्णिया के बीच महज 40 किमी रेलवे लाइन बिछाने मात्र से दोनों जिले के बीच रेल संपर्क कायम हो सकता है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि पूर्णिया जिला से एनएफ रेल मंडल कटिहार व पूर्व मध्य रेल समस्तीपुर की ट्रेनें दौड़ती हैं। इन दो रेल मंडलों के बीच पूर्णिया जंक्शन व पूर्णिया कोर्ट रेलवे स्टेशन है। यही नहीं पूर्णिया मेडिकल व शिक्षा का हब होने के कारण आसपास के सात आठ जिलों के लोग यहां स्वास्थ्य सेवाएं व अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के मकसद से यहां आते हैं। वहीं दूसरी ओर पूर्णिया को सहरसा, मधेपुरा, सुपौल व अन्य कई जगहों से जोड़ने वाली एनएच 107 सड़क की बदहाली लोगों को झकझोर देती है। कई वर्षों से इस सड़क को दुरूस्त कराने की आवाज उठाई जा रही है आश्वासन भी मिल रहे हैं लेकिन कछ़ुआ गति से चल रहे निर्माण कार्य से परेशान होकर अब तो लोगों ने अपनी मुंह को बंद कर लिया है। ऐसे में रेल ही आवागमन का एकमात्र सुगम व सस्ता साधन है जिसके सहारे लोग कटिहार से जोगबनी व कटिहार से सहरसा वाया मानसी होते दिल्ली समेत देश के कई अन्य हिस्सों तक जाने के लिए ट्रेन पर सफर करते हैं। रेलवे का सिंगल ट्रैक होने के कारण इन दोनों रूट पर ट्रेनों की लेटलतीफी आम बात है। 

...सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी उठाई है आवाज : 
जिले के सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुमार श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान जिले के पिछड़ेपन की ओर आकृष्ट कराते हुए केंद्र सरकार द्वारा तैयार की जाने वाली पंचवर्षीय कार्ययोजना के एजेंडे में यहां के विकास को लेकर कुछ बिंदुओं को शामिल करने का अनुरोध किया है। वहीं स्टेशन सलाहकार समिति सदस्य सह वार्ड 22 की पार्षद सरिता राय ने एनएफ रेल मंडल कटिहार के रेल प्रबंधक को पत्र प्रेषित कर विभिन्न मांगों काे जल्द से जल्द पूरा करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि पूर्णिया जंक्शन सीमांचल क्षेत्र का प्रमुख रेल जंक्शन है और यहां से प्रतिदिन हजारों की आबादी ट्रेन से सफर करती है। साथ ही नेपाल व बांग्लादेश के यात्री भी रेल सुविधा का लाभ उठाते हैं। बता दें कि वर्तमान में पूर्णिया शहर की आबादी करीब साढ़े तीन लाख है और रेल सुविधा के नाम पर यहां कुछ खास मयस्सर नहीं है। जन सुविधा को देखते हुए पूर्णिया जंक्शन से ट्रेनों की संख्या बढ़ाए जाने व सौंदर्यीकरण कराए जाने समेत कई अन्य मांग पर रेलवे के उच्च पदस्थों का ध्यान आकृष्ट कराया है। इसके अलावे जन अधिकार पार्टी युवा परिषद के प्रदेश प्रवक्ता राजेश यादव ने भी पूर्णिया कोर्ट स्टेशन से ट्रेनों की संख्या बढ़ाए जाने के अलावे अन्य सुविधाओं के विस्तार को लेकर कई बार पूर्व मध्य रेल समस्तीपुर के डीआरएम को ज्ञापन सौंप चुके हैं। 

...उच्च पदस्थों को दी गई है जानकारी : 
ट्रेनों की संख्या बढ़ाए जाने व ट्रैक दोहरीकरण को लेकर रेलवे बोर्ड के उच्च पदस्थाें से बात की गई है। वहां से दिशा निर्देश मिलने के बाद ही कुछ किया जा सकता है।  : सुमित सरकार, डीआरएम, एनएफ रेल मंडल कटिहार।

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