नयी दिल्ली, 26 अगस्त, दिल्ली की एक अदालत ने आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की सीबीआई हिरासत की अवधि सोमवार को चार और दिन के लिये बढ़ा दी। अदालत ने चिदंबरम को 30 अगस्त तक एजेंसी की हिरासत में भेज दिया। विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ ने सीबीआई की उस मांग को स्वीकार कर लिया कि चिदंबरम को हिरासत में लेकर पूछताछ किये जाने की अभी और जरूरत है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जांच करना जांच अधिकारी का विशेषाधिकार है जिसे उन्हें कानून के दायरे में करना होता है... मेरा मानना है कि आरोपी पी चिदंबरम की और पुलिस हिरासत न्यायोचित है और इसलिए आरोपी को 30 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेजा जाता है।’’ अदालत ने सीबीआई हिरासत के दौरान चिदंबरम के परिवार के सदस्यों और वकीलों को प्रतिदिन आधा घंटा उनसे मिलने की अनुमति दी। चार दिन की सीबीआई हिरासत की अवधि पूरी होने के बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया था। अदालत ने 22 अगस्त को चिदंबरम को चार दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा था। जांच एजेंसी ने उनकी हिरासत की अवधि और पांच दिन बढ़ाने की मांग की थी। उनके वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान सीबीआई की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि एजेंसी अदालत के समक्ष मामले के ‘‘पूर्ण तथ्यों’’ का खुलासा नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘पर्दे के पीछे से रिमांड की मांग करने का यह तरीका सही नहीं है।’’ चिदंबरम से दो मिनट बात करने के बाद सिब्बल ने कहा कि पिछले रिमांड आवेदन में 50 लाख अमेरिकी डॉलर का उल्लेख था और इन चार दिनों के दौरान एक भी दस्तावेज उनके समक्ष नहीं रखा गया। इस बीच, उच्चतम न्यायालय ने चिदंबरम के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन के मामले में कांग्रेस के इस 73 वर्षीय नेता को मंगलवार तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया। शीर्ष अदालत ने हालांकि आईएनएक्स मीडिया घोटाले में भ्रष्टाचार के मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने सुनवाई शुरू होते ही कहा कि चिदंबरम को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, इसलिए अग्रिम जमानत याचिका रद्द होने के खिलाफ उनकी अपील अब निरर्थक हो गयी है। सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल के.एन. नटराजन ने सीबीआई की ओर से दलीलें दीं। उन्होंने कहा कि पूछताछ के लिए उनकी हिरासत की अवधि बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार हैं। अभियोजकों ने कहा कि चिदंबरम से 23 से 26 अगस्त तक पूछताछ की गई और एक सह-आरोपी से उनका आमना-सामना कराया गया है, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया है। मेहता ने दलील दी, ‘‘हमें चिदंबरम को और पांच दिनों तक हिरासत में रखने की जरूरत है क्योंकि सह-आरोपी से आमना-सामना करा कर बड़ी साजिश का खुलासा करने की कार्यवाही जारी रहेगी।’’ उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच एक साथ चल रही है और सीबीआई को इसकी जानकारी मिली है। मेहता ने कहा कि ईडी ने धनशोधन के मामले में उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा दाखिल किया है और उसने सीबीआई के साथ सबूत को साझा किया है इसलिए और पूछताछ की जरूरत है। चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मेहता की दलीलों का विरोध किया। सिब्बल ने दावा किया कि ई-मेल से संबंधित सवाल पहले ही पूछे जा चुके हैं और चिदंबरम ने इन सवालों के जवाब दे दिये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘26 घंटे की पूछताछ हुई है। फिर भी इन सभी मुद्दों पर कुछ नहीं पूछा गया।’’ सिब्बल ने कहा कि वह चाहते हैं कि सीबीआई अदालत के समक्ष सही तथ्यों को रखे। चिदंबरम (73) को सीबीआई ने जोरबाग स्थित उनके आवास से 21 अगस्त की रात गिरफ्तार किया था। उन्हें 22 अगस्त को अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें चार दिनों की सीबीआई हिरासत में सौंप दिया था। चिदंबरम के वित्त मंत्री रहने के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने में बरती गई कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। यह मंजूरी 305 करोड़ रुपये का विदेशी धन प्राप्त करने के लिए दी गई थी। इसके बाद, ईडी ने भी 2017 में इस सिलसिले में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।
सोमवार, 26 अगस्त 2019
चिदंबरम की सीबीआई हिरासत चार दिन के लिये बढ़ाई गई
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