बिहार : झोपड़ी के द्वार पर बैठकर मुखू मांझी किसी मसीहा की तलाश कर रहा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 19 अगस्त 2019

बिहार : झोपड़ी के द्वार पर बैठकर मुखू मांझी किसी मसीहा की तलाश कर रहा

मुखू मांझी अपाहिज है. ऐसे लोगों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा कल्याण व विकास करवाने की योजना है. मगर मुखू मांझी को सरकारी योजनाओं से लाभ नहीं मिल रहा 
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दानापुर,30 जुलाई। स्वर्गीय रामबरण मांझी के पुत्र मुखू मांझी अपाहिज है. ऐसे लोगों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा कल्याण व विकास करवाने की योजना है. मगर मुखू मांझी को सरकारी योजनाओं से लाभ नहीं मिल रहा है. वह चलने-फिरने में अक्षम है.वह झोपड़ी के द्वार पर बैठकर किसी मसीहा की तलाश कर रहा है जो विकलांगता प्रमाण-पत्र बनवाकर पेंशन स्वीकृत करवा सके. 

नगर परिषद दानापुर निजामत में है वार्ड न.32.
इस वार्ड के वार्ड पार्षद हैं दीलिप पासवान. इनसे नाच बगीचा मुसहरी के महादलित नाखुश हैं. आखिर क्यों न हो? उन्होंने इस मुसहरी की बुनियादी समस्याओं के निष्पादन करने की दिशा में किसी तरह की पहल नहीं की हैं. डबल अटैक वाले मुखू मांझी नामक दिव्यांग   को 16 वर्षों के बाद भी पेंशन दिलवाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं. बता दें कि यहां पर  स्वर्गीय रामबरण मांझी के पुत्र मुखू मांझी  दिव्यांग हैं. उसे 2003 में धक्का लगा था.जिसके कारण वह विकलांग हो गया. इस विकलांग को पेंशन दिलवाने का प्रयास जन प्रतिनिधि नहीं किए.वहीं गैर सरकारी संस्था के सामुदायिक स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास केंद्र के द्वारा के द्वारा प्रयास नहीं किया गया. इन विषय पर 10 सालों तक चर्चा और केवल सवालिया निशान ही लगाते रहे. इस बीच डबल अटैक के गिरफ्त में मुखू आ गया. 2013 में  लकवा के शिकार मुखू मांझी आ गया. एक तो धक्के खाने से विकलांग हो गया था तो उसके लकवा की चपेट में आ गया. यहां पर यह कहावत मुखू पर चरितार्थ हुआ.  एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा. वह कौन हैं ? जो मुखू मांझी को जिल्लत की जिंदगी से उभार सके? वह जन प्रतिनिधि हो सकता है जो अपने अधिकार शक्ति से कार्य करवा सके.

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