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गुरुवार, 5 सितंबर 2019

विशेष : बैंको के विलय के मायने

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भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यस्था बनाने के लिए नई पीढ़ी के बैंकों का होना बहुत जरूरी हैं। इसी विचार के साथ वित्तमंत्री ने 10 सरकारी बैंकों के प्रस्तावित विलय का एलान किया । इसके साथ ही देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 हो जाएगी। सरकारी बैंको के विलय की प्रक्रिया उदारीकरण के दौर से चली आ रही है। पूर्व में सरकारी बैंकों के आलावा कई प्राइवेट बैंकों का भी विलय हुआ है। वर्ष 1991 में बैंकिंग सुधार पर एमएल नरसिम्हन की अध्यक्षता में समिति का गठन हुआ था। नरसिम्हन समिति ने देश में 3-4 अंतरराष्ट्रीय स्तर के बैंक और 10 राष्ट्रीय स्तर के बैंक की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार का यह फैसल उस वक्त पर आया जब विकास दर 6 वर्ष के निचले पायदान पर है। ज्ञात हो विकास दर वित्तवर्ष 2019-20 के पहली तिमाही में घटकर 5 फीसदी रह गया है। हालाँकि दुनिया भर में नरमी के संकेत है और भारत इससे अछूता नहीं रह सकता है। सरकार स्तिथि से निपटने के लिये तमाम प्रयास कर रही है और दावा कर रही है की भारत अभी भी सबसे तेजी से बढ़ने वाला अर्थव्यस्था बना हुआ है।

बैंकों के विलय के क्या मायने है और सरकार इसे क्यों करना चाहती है ? सरकार का दावा है कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यस्था बनाने की दिशा में यह एक कदम है। विलय का फैसला देश में मजबूत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बड़े बैंक गठित करने के लक्ष्य से किया गया है। वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बैंक लाने से विकास दर को तेज किया  जा सकता है। इससे बैंकों की बैलेंस शीट भी सुधरेगी और कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी। सरकार चाहती है कि बैंक ज्यादा प्रतिस्पर्धी माहौल में काम करे और ग्राहकों को सस्ते कर्ज के साथ बेहतर सेवाएं प्रदान करे। विलय से बैंकों के परिचालन की लागत घटेगी और नए राज्यों में तेजी से पहुँच बढ़ेगी। साथ ही नई तकनीक और विशेषग्यता का लाभ मिलेगा। काफी हद तक बैंक कर्मियों के वेतन में असमानता दूर होगी। दूसरी तरफ देश के विकास और आर्थिक हालात को लेकर विपक्षी पार्टियां हमलावर है और सरकार को कठघरे में खड़ी कर रही है। कई जानकारों का तर्क है कि बड़े पैमाने पर  बैंकों के विलय का फैसला सरकार द्वारा जल्दीबाजी में लिया गया है। इससे क्षेत्रीय लाभ समाप्त हो जायेंगे और बैंक कर्मचारियों को तकनीकी स्तर पर चुनौतियां बढ़ेगी। साथ ही बड़े बैंकों को आर्थिक संकट के समय ज्यादा जोखिम होगा। हालांकि वित्तमंत्री ने कर्मचारियों के आश्वस्त करते हुए कहा हैं कि किसी की भी नौकरी नहीं जाएगी।




- राजीव सिंह -

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