12 बजे से मार्च रामगुलाम चौक गाँधी मैदान पटना से चलकर विभिन्न मार्ग को पार कर राज्यभवन तक
पटना,16 सितम्बर। बिहार बहुजन न्याय मंच के बैनर तले "पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति अधिकार यात्रा" 19 सितम्बर को पटना में आयोजित किया जाएगा। 12 बजे से मार्च रामगुलाम चौक गाँधी मैदान पटना से चलकर विभिन्न मार्ग को पार कर राज्यभवन तक जाना है। अपनी दस सूत्री माँग को लेकर जगह बैठक की जा रही है।द ग्रेट भीम आर्मी, DAAA, BASF, ISWA, MAM,आल बिहार अम्बेडकर हॉस्टल , अम्बेडकर, BDVS आदि जन संगठनों का सहयोग मिल रहा है। इन दलित एवं आदिवासी अधिकार समूहों का आरोप है कि ‘मोदी सरकार ने SC-ST की शिक्षा पर होने वाले खर्च को घटाया है। इस बीच जानकारी मिली है कि अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार निवारण कानून के प्रावधानों को हल्का करने के फैसले पर पुनर्विचार सम्बन्धी केंद्र सरकार की याचिका की सुनवाई शीर्ष अदालत की वृहद पीठ करेगी।न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की खंडपीठ ने केंद्र एवम् अन्य की पुनर्विचार याचिकाओं को आज तीन सदस्यीय पीठ के सुपुर्द कर दिया। यह पीठ याचिकाओं पर अगले हफ्ते सुनवाई करेगी।गौरतलब है कि दो सदस्यीय पीठ ने मार्च 2018 में एससी/एसटी कानून के प्रावधानों को हल्का किया था, जिसे केंद्र एवम् अन्य ने पुनर्विचार का अदालत से अनुरोध किया है। बताते चले कि पीएचडी और इसके बाद के कोर्सेज के लिए फेलोशिप और स्कॉलरशिप में 2014-15 से लगातार गिरावट आई है। इसी प्रकार से यूजीसी और इग्नू में एससी और एसटी समुदाय के छात्रों के लिए हायर एजुकेशन फंड्स में क्रमश: 23 पर्सेंट और 50 पर्सेंट की गिरावट हुई।दलित एवं आदिवासी अधिकार समूहों का आरोप- ‘मोदी सरकार ने घटाया SC-ST की शिक्षा पर खर्च होने वाला फंड’। बजट में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखने वाले छात्र-छात्राओं के सेकेंडरी और हायर एजुकेशन पर खर्च होने वाले फंड्स में कटौती हुई है। दलित और आदिवासी अधिकारों के लिए काम करने वाले समूहों के आकलन में इस बात का दावा किया गया है। दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन की बीना पलिकल के मुताबिक, एससी स्टूडेंट्स को मैट्रिक के बाद मिलने वाली स्कॉलरशिप के लिए इस साल बजट में 2926 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जबकि पिछले साल यह रकम 3 हजार करोड़ रुपये थी। पलिकल के मुताबिक, एसटी स्टूडेंट्स के लिए मैट्रिक के बाद मिलने वाली स्कॉलरशिप के मद में 2018-19 में 1,643 करोड़ रुपये के फंड का प्रावधान था, जो इस साल 1,613 करोड़ रुपये है। संगठन के मुताबिक, पीएचडी और इसके बाद के कोर्सेज के लिए फेलोशिप और स्कॉलरशिप में 2014-15 से लगातार गिरावट आई है। इसके मुताबिक, एससी के लिए यह रकम 602 करोड़ रुपये से घटकर 283 करोड़ रुपये हो गई जबकि एसटी स्टूडेंट्स के लिए यह 439 करोड़ रुपये से कम होकर 135 करोड़ रुपये हो गई। इसी प्रकार से यूजीसी और इग्नू में एससी और एसटी समुदाय के छात्रों के लिए हायर एजुकेशन फंड्स में क्रमश: 23 पर्सेंट और 50 पर्सेंट की गिरावट हुई। नैशनल कैंपेन ऑन दलित ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, सामाजिक कल्याण और आधिकारिता मंत्रालय के लिए आवंटित फंड में भी कमी आई है। अनुसूचित जाति के विकास में इस्तेमाल होने वाले फंड्स में गिरावट का ट्रेंड ग्रामीण विकास, सूक्ष्म ,लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय आदि में भी देखने को मिला है। एसटी समुदाय के नजरिए से सबसे खराब हालात सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की है। वहीं, आदिवासी मामलों के मंत्रालय में जरा सा ही फंड्स का इजाफा हुआ है।
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