दुमका : हस्तशिल्प कारीगरों के लिए स्थानीय बाजार पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 7 सितंबर 2019

दुमका : हस्तशिल्प कारीगरों के लिए स्थानीय बाजार पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन)  विकास आयुक्त हस्तशिल्प भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय द्वारा संपोषित आईडीपीएच योजना के तहत झारक्राफ्ट राॅची के द्वारा हस्तशिल्प कारीगरों के लिए स्थानीय बाजार पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन दुमका के जोहार सभागार में आयोजित किया जा रहा है। जिसका उदघाटन मंत्री डाॅ0 लुईस मराण्डी से किया। आयोजन के उद्घाटन सत्र में सर्वप्रथम शिखा आनन्द क्लस्टर मैनेजर झारक्राफ्ट, दुमका ने मंत्री डाॅ0 लुईस मराण्डी एवं उप विकास आयुक्त वरूण रंजन को पुष्पगुच्छ एवं शााॅल देकर स्वागत किया। बतौर मुख्य अतिथि डाॅं लुईस मराण्डी मंत्री झारखण्ड ने उद्घाटन सत्र मंे हस्तशिल्प से जुडे कारीगरों को संबोधित करते हुए कहा कि संताल परगना में बड़ी संख्या में हस्तशिल्पी हैं, जिनके काम को स्थापित करने की जरूरत है ताकि ज्यादा से ज्यादा षिल्पी स्वरोजगार से जुड सकें। इसलिए हम भारत सरकार से संताल परगना को बाजार उपलब्ध कराने हेतु विशेष सहयोग की अपेक्षा रखते हैं। यहाॅं के हस्तशिल्प उत्पाद देश के विभिन्न इंपोरियम में उपलब्ध हो ताकि ग्राहकों तक उनके उत्पाद पहुॅंच सकंे। इसी कड़ी में बतौर विशिष्ट अतिथि उप विकास आयुक्त वरूण रंजन के कहा कि जिले में लगभग तीस हजार शिल्पी मौजुद हैं जिसकी आर्थिक समृद्धि हेतु केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित कर हर संभव मदद देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने विशेष रूप से मार्केटिंक के सूत्र 4-पी-प्रोडक्ट, प्राईस, प्लेस और प्रमोशन का विश्लेषण किया ताकि ग्राहकों की मांग के अनुसार प्रोडक्ट का निर्माण किया जा सके। सहायक निदेशक हस्तशिल्प देवघर भुवन भास्कर ने केन्द्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी और हस्तषिल्पियों को प्रेरित करते हुऐ कहा कि यहां के हस्तशिल्पी भी देश भर में आयोजित विभिन्न मेलों में जाकर अपने उत्पाद की बिक्री करें। इसके लिए हस्तषिल्प विभाग के द्वारा कारीगरों को टीएडीए एवं निःशुल्क स्टाॅल उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इच्छुक हस्तशिल्पी मुद्रा लोन लेकर अपना स्वरोजगार खड़ा कर सकते हैं, जिसके लिए सरकार की ओर से छः प्रतिषत ब्याज दर की छुट भी दी गई है। रेषम के सहायक निदेषक सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि संतालपरगना में हस्तशिल्प की काफी संभावनाएॅं हैं। उन्होंने डोकरा आर्ट एवं मयूराक्षी शिल्प का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे जुड़े कारीगर आज अच्छी मार्केटिंग कर रहे हैं और उनकी आर्थिक समृद्धि भी हुई है जिससे अन्य हस्तषिल्पियों को प्रेरणा लेने की जरूरत है। दुमका झारक्राफ्ट की क्लस्टर मैनेजर षिखा आनन्द के संयोजन एवं जनमत षोध संस्थान के सचिव अषोक सिंह के संचालन में आयोजित इस दो दिवसीय कार्यषाला के दूसरे तकनीकी सत्र में बतौर रिसोर्स पर्सन बोकारो से आए झारक्राफ्ट के क्लस्टर मैनेजर अजय कुमार ने पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से हस्तषिल्प के विभिन्न उत्पादन एवं डिजाइनों को प्रस्तुत किया और उसके आधार पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया। इसी कड़ी में देवघर से बैधनाथ पेंटिंग के मुख्य चित्रकार नरेन्द्र पंजियारा ने भी अपना अनुभव साझा किया और इस नई चित्रकला षैली के बारे में बताया। इस कार्यषाला में विभिन्न हस्तषिल्प से जुड़े 50 कारीगर भाग ले रहे हैं जिसमें जादोपटिया पेंटिंग से जुडे परंपरागत कलाकार, आदिवासी कठपुतली लोक कला चादर बदोनी, डोकरा आर्ट, सोहराय पेंटिंग, बैधनाथ पेंटिंग, एप्लिक, काथा स्टीच आदि प्रमुख है। कार्यषाला के दूसरे दिन हस्तषिल्प उत्पादन, डिजाइनिंग एवं मार्केंटिंग से जुडे कई विषेषज्ञ हस्तषिल्पियों को मार्गदर्षन और प्रषिक्षण देंगे ताकि प्रषिक्षण के उपरांत हस्तषिल्पी स्थानीय बाजार में अपनी संभावनाएॅं तलाष सकें और ग्राहकों की मांग के अनुरूप अपने उत्पाद तैयार कर सकें। कार्यषाला को सफल बनाने में संदीप जोषी, बेबी देवी, रूबी देवी एवं पूनम कुमारी आदि प्रमुख भूमिका निभा रहीं है। 

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