श्रीनगर, 17 सितंबर, जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने तथा राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों में विभाजित करने के केंद्र के पांच अगस्त के फैसले के बाद कश्मीर में मंगलवार को 44वें दिन भी जनजीवन प्रभावित रहा। अधिकारियों ने बताया कि बाजार तथा अन्य कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे। समूची घाटी में सार्वजनिक परिवहन सड़कों से ज्यादातर नदारद रहा। उन्होंने कहा कि हालांकि बड़ी संख्या में निजी वाहन और कुछ निजी टैक्सी तथा ऑटोरिक्शा शहर के अनेक हिस्सों में चलते दिखे। कुछ रेहड़ी-पटरी वाले भी अपना कारोबार करते दिखे। माध्यमिक स्तर के स्कूलों को खोले जाने का राज्य प्रशासन का प्रयास सफल नहीं हो पाया है क्योंकि अभिभावक अपने बच्चों को घर पर ही रख रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि सरकारी कार्यालय खुले हैं लेकिन सार्वजनिक परिवहन की कमी के चलते अधिकतर कार्यालयों में उपस्थिति कम है। उन्होंने बताया कि जिला मुख्यालय के कार्यालयों में सामान्य उपस्थिति दर्ज की गयी। समूची घाटी में लैंडलाइन टेलीफोन सेवा को बहाल कर दिया गया है। हालांकि, कश्मीर के अधिकतर हिस्सों में मोबाइल टेलीफोन सेवा और सभी इंटरनेट सेवाएं पांच अगस्त से ही बंद हैं। अधिकतर अलगाववादी नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा गया है। दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला एवं महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या तो हिरासत में या नजरबंद रखा गया है। सरकार ने तीन बार मुख्यमंत्री रहे एवं श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला को सख्त जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया है। इस कानून को उनके पिता एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला ने 1978 में तब लागू किया था जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे।
बुधवार, 18 सितंबर 2019
कश्मीर में 44वें दिन भी जनजीवन प्रभावित
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