मधुबनी : इप्टा ने पारंपरिक लोक व्यवहार आधारित नाटक मुक्तिपार्व का मंचन किया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 16 सितंबर 2019

मधुबनी : इप्टा ने पारंपरिक लोक व्यवहार आधारित नाटक मुक्तिपार्व का मंचन किया


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मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) अविनाश चंद्र मिश्र द्वारा रचित नाटक "मुक्तिपर्व" नाटक ही नहीं असल में अभिव्यक्ति की एक मुक्तियात्रा है। इसके अतिरिक्त त्याग, प्रेम, घृणा, अधिकार और तपस्या है। अनादिकाल से ही यह परंपरा चली आ रही है की "महिला"  पुरुष अर्थात पुरुषवादी समाज के अधिपत्य हैं। उनके मौलिक स्वरूप को न अपना कर, उनकी पुरुष अधिपत्य के अनुरूप अस्तित्व का आकलन किया जाता है एवं उसी के अनुरूप उनके अधिकार का भी सीमा तय होती है । उनकी चंचलता कब चरित्रहीनता का कारण बन जाएगी, यह भी पुरुषवादी समाज ही तय करता है। सामा के गीत  तो आप सबों ने सुना ही होगा, जिसे द्वापद युग से ही हमारी समाज की महिलाओं ने सहेज कर रखा है। साथ ही साथ ढेर सारा प्रश्न भी खड़ा होता है कि आखिर क्यों गाती है लड़कियां सामा का गीत ? कौन थी सामा? क्यों लगा वृंदावन में आग ? क्यों लगाते हैं चुगला के मुंह में आग ? और यह मुक्तियात्रा कैसे बना मुक्तिपर्व जिसे सभी हर्षोल्लास से हर साल मनाते हैं। इन सभी प्रश्नों का जवाब मुक्तिपर्व नाटक के द्वारा 15 सितंबर को गिरधारी नगर भवन में दिया गया। नाटक के मंचन से पहले इप्टा एवं सूफी संगीत का मंचन हुआ। तत्पश्चात मधुबनी के डी एम शीर्षत कपिल अशोक, डी डी सी अजय कुमार सिंह, अपर समाहर्ता दुर्गानंद झा, नाटक के लेखक अविनाश चंद्र मिश्र, इप्टा के राष्ट्रीय सचिव फिरोज अशरफ खाँ, समेकित बाल विकास पदाधिकारी रश्मि वर्मा, जिला परिवहन पदाधिकारी, मिथिलेश महासेठ सहित जिले के वरीय पदाधिकारी ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।  2 घंटे से अधिक चले नाटक ने दर्शकों को अपनी जगह पर अंत तक बांधे रखा। दर्शको ने नाटक के दरमियां प्रस्तुत मनमोहक दृश्यों और गीतों पर तालियों से हौसला अफजाई की। नाटक के लेखक अविनाश चंद्र मिश्र एवं निर्देशक इंद्र भूषण रमण 'बमबम' थे। नाटक के अंत में मधुबनी के डी एम शीर्षत कपिल अशोक ने कहा कि मैंने सामा चकेबा के बारे में सुना था लेकिन इस नाटक के देखने के बाद मैं सामा चकेबा के बारे में जान पाया हूँ। नाटक की प्रस्तुति बहुत ही अच्छी थी, सभी पात्रों ने उत्कृष्ट अभिनय किया है। इनलोगों के कार्यों को देखकर मैं काफी रोमांचित हुआ हूँ। जिलापदधिकारी ने घोषणा की की मैं राज्य सरकार के कला संस्कृति विभाग से इस नाटक का मंचन अन्य जगहों पर भी कराने का प्रयास करूँगा साथ ही इस नाटक की एक प्रस्तुति आगामी उच्चैठ महोत्सव में भी किया जाएगा। उन्होंने कला संस्कृति के विकास के लिये नियमित कार्यक्रमों का एक कैलेन्डर बनाने का सुझाव दिया। जिला प्रशासन के तरफ से सभी कलाकारों को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र भी दिया गया।

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