नयी दिल्ली, 26 सितंबर, उच्चतम न्यायालय में अयोध्या विवाद की 32वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि विवादित ढांचे के नीचे एक ईदगाह हो सकता है। मुस्लिम पक्ष की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ के समक्ष दलील दी कि विवादित ढांचे के नीचे एक ईदगाह हो सकता है। वहां भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की खुदाई में मिले दीवारों के अवशेष ईदगाह के हो सकते है। उन्होंने कल अपनी दलीलों में एएसआई रिपोर्ट की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े किए थे। न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने सुश्री अरोड़ा को इस पर टोकते हुए कहा, “मुस्लिम पक्ष का तो ये मानना रहा है कि मस्जिद खाली जगह पर बनाई गई, लेकिन अब आप कह रही है कि उसके नीचे ईदगाह था? अगर ऐसा था तो ये आपकी याचिका में ये शामिल क्यों नही था।” इस पर उन्होंने जवाब दिया कि 1961 में जब उन्होंने केस दायर किया तब ये मुद्दा ही नहीं था । ये बात तो 1989 में सामने आई, जब हिन्दू पक्ष ने मुकदमा दायर कर दावा किया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। सुश्री अरोड़ा ने कहा, “मेरी अब की जिरह रिपोर्ट पर आधारित है। मेरे कहने का मतलब है कि जब ये कहा जा रहा है कि दीवारें मंदिर की हो सकती हैं तो ये भी अनुमान लगाया जा सकता है कि ये दीवारें ईदगाह की है।” इससे पहले एक वकील ने सुनवाई शुरू होते ही कहा कि उसका और निर्मोही अखाड़ा में आपस में ज़मीन के अधिकार को लेकर झगड़ा है, इसलिए उसे भी सुना जाए। मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “क्या हम रोज़ रोज़ इसकी सुनवाई करते रहेंगे? क्या हम मेरे रिटायमेंट के आखरी दिन तक इसकी सुनवाई करेंगे? आज सुनवाई का 32 वां दिन है और आप अब कह रहे है कि आपको भी सुना जाए।” मुख्य न्यायाधीश ने उस वकील की कोई भी दलील सुनने से मना कर दिया।
शुक्रवार, 27 सितंबर 2019
विवादित ढांचा के नीचे ईदगाह हो सकता है : मुस्लिम पक्ष
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