मां होती है पहली शिक्षक : रघुवर दास - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 5 सितंबर 2019

मां होती है पहली शिक्षक : रघुवर दास

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रांची, पांच सितंबर,  मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शिक्षक दिवस पर गुरुवार को यहां कहा कि मां किसी भी व्यक्ति के जीवन की पहली शिक्षक होती है। वह जीवन से जुड़ी हर वह बात सिखाती है जिसकी मदद से बच्चे के भविष्य की नींव मजबूत होती है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज यहां शिक्षक दिवस के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैं बचपन से यही कहावत सुनकर बड़ा हुआ हूं कि भगवान हर जगह मौजूद नहीं हो सकते। इसलिए उन्होंने अपना प्यार सब तक पहुंचाने के लिए मां को बनाया। हमारे देश में मां को भगवान का दर्जा दिया जाता है। मां सिर्फ बच्चे को जन्म ही नहीं देती बल्कि जीवन के पहले शिक्षक के रूप में उसे जीवन से जुड़ी हर वो चीज सिखाती है, जिसकी मदद से उसके भविष्य की नींव मजबूत बन सके।’’ उन्होंने कहा कि ‘‘ मां बच्चे के पहले कदम से ही उसे आत्मनिर्भर बनाती है, साथ ही अच्छी बुरी बातों से अवगत भी कराती है। मैं आभार प्रकट करता हूं उन माताओं से जो अपने बच्चे को इस तरह की शिक्षा के साथ बड़ा करतीं हैं।’’ दास ने कहा, ‘‘सभी शिक्षकों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। बस इतना ही कहूँगा, ‘’वन्दनीय हैं आप’। बस शिक्षक भी अपने ज्ञान, त्याग और तप से उस गरिमा को बनाये रखें।’’  मुख्यमंत्री ने अपने गुरुजनों को याद करते हुए कहा कि 5 सितंबर का दिन मुझे अतीत में कई साल पीछे ले जाता है। मुझे याद आता है मेरा अपना स्कूल और मेरे शिक्षक। मैं आज जो कुछ भी हूं और जो अपने राज्य के लिए कर पा रहा हूं। यह उन्हीं के दिए हुए ज्ञान का प्रतिफल है। मुझे आज भी याद है वो दिन जब मैं हरिजन स्कूल भालूबासा में पढ़ाई करता था। आज के दिन मैं बेहद ही उत्साहित रहता था, क्योंकि गुरु के सम्मान के लिए हम रंगारंग कार्यक्रम पेश करते थे।  रघुवर दास ने कहा भारत में गुरु-शिष्य परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं नमन करता हूं प्रख्यात शिक्षाविद, भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है। उनका कहना था कि ’“यदि सही तरीके से शिक्षा दी जाए तो समाज की बुराईयों को मिटाया जा सकता है”’। शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उनके जन्म दिन को हम सभी शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। मैं झारखंड वासियों से अनुरोध करता कि शिक्षकों का सम्मान करें और स्वयं शिक्षित हों और दूसरे को भी शिक्षित बनाएं। क्योंकि शिक्षा ग्रहण करने की कोई उम्र नहीं होती।’’

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