नयी दिल्ली, सात सितंबर, पत्रकार प्रिया रमानी ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि अपने ट्वीट के जरिये वह पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर के “यौन इच्छाओं को दर्शाने वाले व्यवहार” को सामने लाना चाहती थीं, जिसका सामना उन्होंने 1993 में किया। अकबर ने हालांकि रमानी के इस ट्वीट को “मानहानिकारक” करार दिया था। अकबर द्वारा उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत के मामले में अपने बचाव में गवाह के तौर पर दिये प्रतिवेदन में रमानी ने यह बात कही। रमानी ने अदालत में कहा, “इन सभी महिलाओं को देखकर (जिन्होंने अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया), मैं 1993 में अकबर के साथ अपने अनुभवों के बारे में बोलने को लेकर बाध्य महसूस कर रही थी और इसलिये मैने उनका नाम जाहिर कर दिया जिसका जिक्र मैंने अपने वोग के लिये लिखे लेख में नहीं किया था और उन्हें महज संपादक कहकर संबोधित किया था जिसने मेरा यौन उत्पीड़न किया।” उन्होंने कहा, “मैंने कहा कि मैंने कभी उनका नहीं नहीं लिया क्योंकि उन्होंने कुछ ‘किया’ नहीं। मैंने इन्वर्टेड कॉमा का इस्तेमाल किया था जिससे व्यंग को दर्शा सकूं। यौन उत्पीड़न किसी भी रूप में हो सकता है। यह शारीरिक या मौखिक हो सकता है। यह कहने से कि उन्होंने कुछ ‘किया’ नहीं, मैं ईमानदारी से यह खुलासा कर रही थी कि इसमें कुछ प्रकट नहीं है लेकिन इससे श्रीमान अकबर को यौन इच्छा दर्शाने वाले व्यवहार की छूट नहीं मिलती।” रमानी ने कहा कि उन्होंने अकबर के साथ अपने निजी अनुभव में “दरिंदा” शब्द इस्तेमाल किया और कई दूसरी महिलाओं के साथ अनुभव साझा किये। अदालत इस मामले में अब नौ सितंबर को सुनवाई करेगी।
रविवार, 8 सितंबर 2019
मेरे ट्वीट का उद्देश्य अकबर का पर्दाफाश करना था : प्रिया रमानी
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