दरभंगा (आर्यावर्त संवाददाता) मिथिला का सांस्कृतिक इतिहास बहुत पुराना रहा है |मिथिला पेंटिंग से लेकर पाबैन-त्यौहार तक मिथिला कि संस्कृति दुनिया भर में प्रचलित रही है |इसी परम्परा को आगे बढाने में निरंतर मिथिला क्षेत्र में सराहनीय कार्य हो रहा है | मैथिली लघु सिनेमा के 25 साल पूरे होने के अवसर पर दरभंगा में दो दिवसीय मैथिली लघु फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत शनिवार को गई | कार्यक्रम का आयोजन एमएलएसएम कॉलेज के प्रांगन में किया गया| इसमें पांच लघु फिल्में दिखाई गई | इसके अलावा दोनों दिन में अलग अलग कार्यक्रम रखा गया है | इस कार्य को सफल बनाने के लिए मैथिली फिल्म अकादमी दरभंगा के संयोजक शशि मोहन भारद्वाज और उनके टीम का सराहनीय योगदान रहा है| शशि मोहन ने बताया कि फेस्टिवल में मैथिली फिल्म स्क्रिप्ट लेखन और सहित्य पर चर्चा होगी| साथ ही मैथिली फिल्म निर्माण को कैसे बढ़ावा मिले इस पर भी विचार होगा| कार्यक्रम का आयोजन मैथिली फिल्म अकादमी दरभंगा की ओर से किया जा रहा है| फेस्टिवल का उद्घाटन बिहार के डीजी होमगार्ड और अग्निशमन आरके मिश्र ने किया| इस दौरान उन्होंने कहा कि जमाना तकनीक का है. मैथिली में छोटी-छोटी फिल्में बनाकर हम आसानी से आम लोगों तक पहुंच सकते हैं. इससे भाषा और कला-संस्कृति का विकास होगा|
फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली फिल्में : फेर हेतइ भोर, एमबीए कनिया सीए वर, गोरकी, पुनर्जन्म, कवि कल्पना
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