जमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता) पोटका प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री कपिल कुमार सामान्य दुनिया से अलग-थलग रहनेवाले आदिम जनजाति सबरों को दी जानेवाली सरकारी सुविधाओं को शत प्रतिशत क्रियान्वित कर उनके जीवन को पटरी पर लाने हेतु प्रयासरत हैं। सबर परिवारों के बीच जाकर और उनके साथ समय बिताकर उनकी जिंदगी को जानने का प्रयास कर रहे है प्रखंड विकास पदाधिकारी। सरकार की जनकल्याणकारी योजनायें सबरों तक पहुंच रही या नहीं इसकी लगातार मॉनिटरिंग भी अपने स्तर से करते रहते हैं। इसी कड़ी में झारखंड सरकार के कल्याण विभाग की ओर से आदिम जनजातियों को दिये जानेवाले बिरसा आवास का निर्माण उन्होनें अपनी निगरानी में शुरू कराया जिसके फलस्वरूप टांगराईन गांव में स्वीकृत 12 में 10 आवास का निर्माण कार्य पूर्ण कराते हुए गृह प्रवेश पिछले माह में ही करा दिया गया है। आदिम जनजाति सबर के लोग पूर्व में जंगल किनारे इधर-उधर रहते थे, लेकिन बिरसा आवास दिये जाने के बाद इनकी बस्ती को एक कॉलोनी का रूप दिया गया। पानी की कमी को देखते हुए डीएमएफटी से जलमीनार स्थापित किया गया, बिजली पहुंचायी गयी और मनरेगा से शौचालय का निर्माण कराया गया। डाकिया योजना का शत प्रतिशत क्रियान्वयन कराते हुए सबर परिवारों के घर-घर चावल पहुंचाना सुनिश्चित किया गया। झारखंड सरकार के कल्याण विभाग की ओर से टांगराईन गांव में आदिम जनजाति सबरों के लिए स्वीकृत 12 बिरसा आवासों में 10 बिरसा आवास में गृहप्रवेश कराया गया है इनमें बुधिया सबर, रामो सबर, पूर्ण सबर, सोमा सबर, बांकी सबर आदि शामिल हैं। आवास पानेवाले सभी लाभुक काफी खुश हैं। उन्होंने बिरसा आवास निर्माण के लिए सरकार के इस योजना की प्रशंसा की है। कल्याण विभाग की ओर से बिरसा आवास का निर्माण कराकर सबर बस्ती को कॉलोनी का रूप दिया गया है। सभी घरों का निर्माण एक सिस्टम से कराया गया है। बस्ती में पेयजल की सुलभ उपलब्धता हेतु जलमीनार का निर्माण कराया गया गया है, वहीं घर-घर बिजली भी पहुंचा दी गयी है सभी बिरसा आवास के लाभुकों हेतु मनरेगा योजना अंतर्गत के तहत शौचालय का निर्माण कराया गया है। घर, शौचालय, बिजली, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराते हुए आदिम जनजाति सबर परिवारों को मुख्यधारा से जोड़ने की संवेदनशील पहल धरातल पर दिखती नजर आ रही है। सबर बस्ती के सभी योग्य लाभुकों को जहां पेंशन योजना का लाभ मिलना सुनिश्चित किया गया वहीं डाकिया योजना के तहत इनके घर-घर जाकर चावल पहुंचाया जाता है। सुदूर देहात क्षेत्र में रहने वाले आदिम जनजाति सबर परिवारों को घर में ही राशन मिलने से इनका समय बचता है। इस समय का सदुपयोग ये दूसरे कामों में करते हैं। प्रखंड विकास पदाधिकारी, पोटका श्री कपिल कुमार का कहना है कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन हमारी जिम्मेदारी है। हमारे प्रयास से लोगों के जीवन में अगर गुणात्मक बदलाव आता है तो प्रशासनिक अधिकारी होने के नाते हम सभी को काफी खुशी मिलती है। उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम के निर्देश पर पूरा प्रखंड प्रशासन तत्परता से सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में जुटा है। टंगराईन गांव के सबर बस्ती में जिन शेष दो बिरसा आवास का निर्माण कार्य प्रगति पर है, उसे भी जल्द पूर्ण कर लाभुकों को गृहप्रवेश कराया जाएगा।
मंगलवार, 24 सितंबर 2019
जमशेदपुर : अव्यवस्थित तरीके से जीवनआपन कर रहे सबर अब जी रहे व्यवस्थित जीवन
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