नयी दिल्ली 01 अक्टूबर, उच्चतम न्यायालय ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अत्याचार निवारण कानून के प्रावधानों को हल्का करने के दो सदस्यीय पीठ के फैसले को मंगलवार को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति भूषण गवई की पीठ ने केन्द्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के बाद पुराने फैसले को रद्द कर दिया। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की खंडपीठ ने केन्द्र एवं अन्य की पुनर्विचार याचिकाओं को तीन सदस्यीय पीठ के सुपुर्द कर दिया था। दो सदस्यीय पीठ ने मार्च 2018 में एससी/एसटी कानून के प्रावधानों को हल्का किया था, जिसे केन्द्र एवं अन्य ने पुनर्विचार का अदालत से अनुरोध किया था। पिछले साल दिए इस फैसले में शीर्ष अदालत ने माना था कि एससी/एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी की व्यवस्था के चलते कई बार बेकसूर लोगों को जेल जाना पड़ता है। कोर्ट ने तुंरत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। इसके खिलाफ सरकार ने पुनर्विचार अर्जी दायर की थी। जिस पर आज तीन जजों की बेंच का फ़ैसला आया है।
मंगलवार, 1 अक्तूबर 2019
एससी/एसटी मामले में दो सदस्यीय पीठ का फैसला निरस्त
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