पटना,21 नवम्बर। पटना नगर निगम में 75 वार्ड है। इनमें वार्ड नम्बर-1 है। वार्ड नम्बर- 1 की वार्ड पार्षद हैं छठिया देवी। वह महादलित मुसहर समुदाय की हैं। सजातीय वार्ड पार्षद होने के बाद भी मुसहर समुदाय के लोग उपेक्षित हैं। त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत के दीघा ग्राम पंचायत के कार्यकाल झोपड़ी में मुनारिक मांझी रहते थे, अब त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत को समाप्त करने के बाद पटना नगर निगम में आ जाने के बाद भी मुनारिक मांझी के पुत्र विजेन्द्र मांझी झोपड़ी में ही रहता है। यह हाल है पटना नगर निगम के पाटलिपुत्र अंचल के उड़ान टोला के 50 झोपड़ियों रहने वाले मुसहर समुदाय का। जो आजादी के 72 साल में कितने जन प्रतिनिधियों को वोट देकर विजयी बनाकर तकदीर बना दिए, पर अपना तकदीर नहीं बना सके। बदरी मांझी के पुत्र सत्येद्र मांझी कहते हैं कि दीघा ग्राम पंचायत के कार्यकाल में बाजितपुर मोहल्ला के सामने पटना-दीघा-दानापुर मुख्य मार्ग के किनारे रहते थे। इसके बाद सड़क के किनारे से भगा दिया गया। यहां से उजरने के बाद सड़क से कुछ दूरी पर रहने लगे।यहां के लोग उड़ान टोला नाम रख दिए। कुछ दिनों के बाद यहां पर पूजा फ्लावर मिल बनने के कारण जमीन पर खदेड़ दिए गए। यहां पर करीब बीस साल तक रहे परंतु दीघा ग्राम पंचायत के मुखिया ने हम आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल जमीन उपलब्ध कराकर इंदिरा आवास योजना से घर नहीं बना दिए।जबकि कल्याणकारी सरकार ने योजना के तहत प्रावधान बना रखी है। आवासीय भूमिहीनों को 10 डिसमिल और भूमिहीनों को 5 एकड़ जमीन देने का प्रावधान है। कबूतरी देवी कहती हैं कि बाजितपुर मोहल्ला के सामने पूजा फ्लावर मिल बनने के कारण जमीन पर खदेड़ने के बाद दीघा-पटना रेलखंड के किनारे तिनका जोड़-जोड़कर झोपड़ी बनाकर रहने लगे। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कृपा से महादलित जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने। सजातीय मुख्यमंत्री होने के बाद भी दरदर भटकने वालों को सुधि नहीं लिए। इस पर खुद को आशा देवी नहीं रोक नहीं। सजातीय मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बाद सजातीय वार्ड पार्षद छठिया देवी भी हमलोगों का उद्धारक नहीं बन सकीं। हार्डिग पार्क से दीघा घाट तक रेलखंड हटाकर सिक्सलेन रोड बनने के क्रम में पुन: हमलोगों की झोपड़ियां हटा दी गयी। अब नाला के किनारे पन्नी व साड़ी तानकर रहने को बाध्य है। मूलभूत सुविधाएं नदारद है।गाली सुनकर दूर से पेयजल लाना पड़ता है।शौचक्रिया करते समय ईट-पत्थर की चोट खाने का भय बना रहता है। वहीं बच्चों का भविष्य अंधकारमय है। क्षेत्र के विकास मित्र का कहना है कि नगर विकास विभाग ने पटना नगर निगम के 75 वार्डों का झोपड़पट्टियों (अरबन स्लम) का सर्वें करवाया है ताकि गरीबों की दास्तान जान सकें।वहीं यह भी देखा गया कि कितनों लोगों के पास अपनी जमीन है। कितने लोग आवासीय भूमिहीन हैं। कितने लोग सरकारी जमीन पर रहते हैं, उक्त जमीन में आधी विल्डर को और आधी जमीन में विल्डर के द्वारा भवन बनाकर सरकारी जमीन पर रहने वालों को देगा।जिनके पास जमीन है उनको 12 लाख रू. कर्ज दिया जाएगा,इसमें 2 लाख सब्सिडी है। सर्वे 2018 में किया गया।2019 के फरवरी माह में वार्ड पार्षद को सर्वे प्रपत्र दिया गया। कुछ वार्ड का सर्वे नहीं हो पाया था।उसे पूरा किया जा रहा है। इन प्रोजेस को जल्द से जल्द पूरा करने की जरूरत है ताकि इन गरीब लोगों की अंधेरी रात में सुबह हो सके।
गुरुवार, 21 नवंबर 2019
बिहार : सिक्सलेन निर्मित रोड के नाले किनारे साड़ी तानकर रहने को बाध्य हैं महादलित
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