मुंबई/नयी दिल्ली, 22 नवंबर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन में सहमति बनी है कि महाराष्ट्र की नई सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे करेंगे। पवार की घोषणा, कांग्रेस, राकांपा और उनके चुनाव पूर्व गठबंधन सहयोगियों और तीनों पार्टियों की बैठकों के बाद आई है। कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के शीर्ष नेताओं की लंबी बैठक से निकलते हुए पवार ने कहा कि ठाकरे के नेतृत्व पर सहमति बनी है। वर्ली में नेहरू केंद्र में हुई बैठक के बाद पवार ने कहा कि अन्य मुद्दों पर चर्चा चल रही है। राकांपा प्रमुख ने कहा, ‘‘ नेतृत्व का मुद्दा अब लंबित नहीं है। मुख्यमंत्री पद के लिए दो तरह की कोई राय नहीं थी। इस बात पर सहमति बनी है कि उद्धव ठाकरे नई सरकार का नेतृत्व करें।’’ सवाल किया गया कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री होंगे, तो पवार ने जवाब दिया, ‘‘ आप हिन्दी नहीं समझते हैं? नई सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे करेंगे।’’ बैठक में शिरकत करने वाले शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे ने ठाकरे के नेतृत्व पर पवार के बयान के बारे में किए गए सवाल पर अलग से पत्रकारों से कहा कि इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कहा, ‘‘ जब सब कुछ तय हो जाएगा तो कल एक प्रेस वार्ता की जाएगी।’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के बीच सरकार बनाने पर बातचीत अनिर्णायक है और चर्चा शनिवार को भी जारी रहेगी। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के बीच बातचीत सकारात्मक रही और वे कई निष्कर्षों पर पहुंचे हैं। चव्हाण ने कहा, ‘‘ बातचीत कल जारी रहेगी। कांग्रेस और राकांपा के बीच कल नई दिल्ली में चर्चा खत्म हुई थी और आम स्थिति पर सहमति बन गई। ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने के पवार के बयान पर किए गए सवाल पर चव्हाण सीधा जवाब देने से बचे और सिर्फ इतना कहा कि ‘‘ उन्होंने जो भी कहा है कि वह रिकॉर्ड पर है।’’ इस बीच, राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि पवार जोर दे रहे थे कि ठाकरे सरकार की अगुवाई करें।
मलिक ने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘ पवार साहेब जोर दे रहे थे, ठाकरे से मुख्यमंत्री बनने का आग्रह कर रहे थे। साहेब ने कहा कि मुद्दे पर सहमति बन गई है। अब फैसला करना उद्धव ठाकरे जी पर है।’’ बैठक से बाहर आने के बाद, ठाकरे ने पत्रकारों से कहा कि बातचीत संतोषजनक थी। उन्होंने कहा, ‘‘ (सरकार गठन पर) बातचीत सही दिशा में चल रही है। महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जा रही है। सब कुछ तय होने के बाद तीनों पार्टियां आपके सामने आएंगी। इस बैठक में शिवसेना से एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, संजय राउत, कांग्रेस से अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, अविनाश पांडे, बालासाहेब थोराट, पृथ्वीराज चव्हाण और राकांपा से प्रफुल्ल पटेल, जयंत पाटिल, अजित पवार ने हिस्सा लिया। महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे और नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे। राज्य में किसी पार्टी या गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने की वजह से राज्य में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। शिवसेना के मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर भाजपा से 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ने के बाद से राज्य में राजनीतिक संकट है। राज्य में भाजपा और शिवसेना ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, और गठबंधन को बहुमत मिला था जिसमें भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें आई थीं। राकांपा और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और उन्हें क्रमश: 54 और 44 सीटें मिली हैं। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की सीटें 154 होती हैं जो बहुमत के 145 की संख्या ज्यादा है। इस बीच, शिवसेना सांसद संजय राउत ने यहां कहा कि शिवसेना को भगवान इंद्र के सिंहासन का प्रस्ताव मिले तब भी वह भाजपा के साथ नहीं जाएगी। राउत ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस और राकांपा के साथ वाला त्रिदलीय गठबंधन जब सत्ता में आएगा तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद उनकी पार्टी को ही मिलेगा। अटकलें थी कि भाजपा मुख्यमंत्री पद शिवसेना के साथ साझा करने को तैयार है। इस बारे में सवाल पर राउत ने कहा, ‘‘प्रस्तावों के लिए वक्त अब खत्म हो चुका है। महाराष्ट्र की जनता शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहती है।’’
उधर, उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को अपनी पार्टी के विधायकों से मुलाकात की और उन्हें बताया कि राज्य में शिवसेना नीत सरकार बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। एक विधायक ने बताया कि ठाकरे ने विधायकों को मुंबई में एक साथ रहने का निर्देश दिया, क्योंकि उनकी जरूरत कभी भी पड़ सकती है। इससे पहले, शुक्रवार को कांग्रेस और राकांपा ने बताया कि उनके छोटे सहयोगियों ने महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए सरकार बनाने के विचार का समर्थन किया है। इस बीच, कांग्रेस और राकांपा के प्रतिनिधियों ने अपने चुनाव पूर्व सहयोगियों के साथ यहां बैठक की, जिसमें समाजवादी पार्टी, आरपीआई (कावड़े गुट), आरपीआई (खरात गुट), राजू शेट्टी के नेतृत्व वाला स्वाभिमान पक्ष, पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी, माकपा, जनता दल और अन्य ने शिरकत की थी। राकांपा नेता जयंत पाटिल ने कहा कि उनकी पार्टी तथा कांग्रेस के छोटे सहयोगियों ने भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने के विचार का समर्थन किया है। पाटिल यहां बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उनके साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण भी थे। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि गठबंधन साझेदारों ने एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार किया है, जिसे तीन पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने मंजूरी दे दी है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ अंतिम न्यूनतम साझा कार्यक्रम प्रस्तावित सरकार के कामकाज की दिशा तय करेगा।’’ पत्रकारों से बातचीत में सपा नेता अबू आज़मी ने देश से सांप्रदायिकता को खत्म करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर शिवसेना हमारा समर्थन चाहती है तो उसे अपनी कुछ नीतियों में बदलाव करना होगा... हम सांप्रदायिकता को खत्म करने के लिए सरकार का गठन करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि इस सरकार को दलितों, अल्पसंख्यकों, किसानों और गरीबों के प्रति न्यायपूर्ण होना चाहिए। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के ‘गठबंधन’ को ‘‘अवसरवादी’’ करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि यदि वे वहां सरकार बना भी लेते हैं तो वह छह-आठ महीने से अधिक नहीं चल पाएगी। गडकरी ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘अवसरवादिता उनके गठबंधन का आधार है। ये तीनों पार्टियां केवल भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के मकसद से एकजुट हुई हैं। मुझे संदेह है कि यह सरकार बन भी पाएगी... और अगर बन भी गई तो छह-आठ महीने से अधिक नहीं चल पाएगी।’’
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