मधुबनी (रजनीश के झा) मधुबनी : जिले के राजनगर राज कैप्स में चार दिवसीय मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल का उदघाटन जिला अधिकारी शीर्षक कपिल अशोक, पद्मश्री गोदावरी दत्ता, एसएसबी असिस्टेंट कमांडेंट मनीराम, डॉ० शिदानन्द जोशी, साहित्यकार रामभरोस कपरी, भाषाविद प्रो० सीताराम झा, महाविद्यालय प्रधानाचार्य हीरानन्द आचार्य ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस मौके पर संचालिका सविता झा खान के द्वारा अतिथियों को खादी दोपट्टा फेटिवल मोमेंटो से सम्मानित किया गया। साहित्य व कला का महाकुम्भ सेंटर फ़ॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स, नई दिल्ली के द्वारा मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल आयोजन किया जा रहा चार दिनों तक चलेगा इस फेस्टिवल में बॉस, मिटी, एवं मिथला पेंटिंग से मंच को सजाया गया है। वही विभिन्य तरह के स्टॉल लगाए गए है। मिथला पेंटिग हस्तकला, सिकिक्ला, जनेऊ, बुक स्टॉल, सहित खाने पिने जैसे मिथला खान पान व्यंजनों का स्टॉल भी लगाया गया है। सखी बहिनपा ग्रुप की महिला ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और समूह ने अपने विभिन्न स्टाल से मिथिला के कई समृद्ध प्रदर्शनी की अगुआ बनी, साथ ही समूह ने महिलाओं के स्वाबलंबन के लिए कई मुफ्त ट्रेनिंग को लेकर फेस्टिवल में मजबूत सन्देश दिया।। चार दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में कई सत्र होंगे। जिसमें हर आयु और हर वर्ग के लिए बहुत कुछ है। साथ ही कला प्रेमियों के लिए संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित की गई है।
शिक्षा पर आधारित विमर्श सत्र में संजय कुमार सिंह सहित कई वक्ताओं ने अपने विचार साँझा किए। आज जो शिक्षा की फटेहाल व्यवस्था है, उस पर सार्थक कार्य करने पर बल दिया गया। जिसका रोड मैप एडुजस्टिस के पास है, ऐसा वो मानते हैं। इसके साथ समानान्तर सत्र में मिथिला के स्थानीय इतिहास पर अपना विचार रखते हुए वक्ता भवनाथ झा एवं बिनयानन्द झा ने संचालक रिपुंजय ठाकुर के सभी समीचीन प्रश्नों का जबाब दिया जो आधुनिक इतिहास पर उठने वाले बहुत से प्रश्नों का जबाब था। वहीं दुर्गा दलान पर आयोजित मैथिली भाषा आ सम्बध्द बोली के विमर्श सत्र में जैसे भाषा और बोली को लेकर आज के परिदृश्य में भाषा की प्रासंगिकता और उसके प्रति जनसामान्य की प्रतिबद्धता पर बल दिया गया। इसमें वक्ता के तौर पर रमानन्द झा रमन, केषकर ठाकुर, भवनाथ झा, संजय पाठक आदि मौजूद थे। मैथिली मचान पर आयोजित महत्वपूर्ण वैचारिक सत्र पोखरि-रजोखरि में गजानन मिश्र, राम चैतन्य धीरज एवं अजय कुमार पाठक उपस्थित थे। इसमें जल समस्या, संरक्षण एवं समाधान तीनो पर बल दिया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोक एवं शास्त्रीय गायक पण्डित हरिनाथ झा ने लोक एवं शास्त्रीय धुनों को छेड़कर जो समां बांधा उससे दर्शक भाव-विभोर हुए एवं तालियाँ बजाते रहे। वहीं, सुब्रतो डे का सितार वादन भी अपने आप मे अनूठा रहा।
आयोजन समिति के द्वारा इस बार मिथिला की संस्कृति और परंपरा को निखारने के काम किया गया है। जानकारी देते हुए कमिटी की मुख्य सविता झा ने बताया कि ये एक छोटी से पहल है, हमारी धरोहर को बचाने की। इस बार इसका विस्तार भी किया गया। सुप्रसिद्ध रहिका के सौराठ में भी इसका एकदिवसीय आयोजन किया गया। अगली बार इस से ओर बेहतर आयोजन किया जाएगा। कमिटी के सदस्य सह राजनगर राज स्थित वीएसजे कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि यह अपने आप मे एक अनूठा ओर मजबूत पहला है, हमारी संस्कृति को बचाने और निखारने को। इस बार स्थानीय चीजों को फोकस कर काम किया गया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें