हरलाखी विधायक को सबक सिखाने के मूड में जनता, विधायक के विकास का दावा खोखला
जैसे-जैसे बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है,वैसे-वैसे लोगों का मिजाज भी बदलने लगा है.क्षेत्र की कई महत्वपूर्ण सड़कों के जीर्णोद्धार नहीं किए जाने के कारण लोग हरलाखी विधायक सुधांशु शेखर को सबक सिखाने के लिए मुखर होने लगे है. इतना ही नहीं,चुनाव में सबक सिखाने के लिए अभी से ही गोलबंद होने लगे है. विकास के मुद्दे पर अक्सर झूठ बोलने को लेकर सुर्खियों में रहने वाले हरलाखी विधायक सुधांशु शेखर पर विकास का झूठा आश्वासन देने का आरोप क्षेत्र की जनता और विपक्ष के लोग लगा रहे हैं.भाकपा के पूर्व विधायक राम नरेश पांडेय,कांग्रेस के शब्बीर अहमद,शिवचन्द्र झा,पीताम्बर मिश्रा सहित कई लोगों ने विधायक पर विकास की अनदेखी का आरोप लगाया है. हरलाखी विधानसभा क्षेत्र के मधवापुर प्रखंड के बैंगरा चौक से मिनती,पोखरौनी,डुमरा,लोरिका होते हुए उच्चैठ भगवती स्थान तक जाने वाली लगभग चार किलोमीटर ग्रामीण सड़क की स्थिति काफी जर्जर है. आपको बता दें कि केंद्र के साथ बिहार में भी बीजेपी-जद(यू) की सरकार है और यहां के सांसद बीजेपी से तो विधायक जद(यू) से ही हैं. क्षेत्र में बीजेपी के ही सांसद और विधायक बनने के बाद से इस क्षेत्र के लोगों को लगा था कि उनके वायदे के मुताबिक गांव की यह सड़क बन जाएगी. लेकिन बीजेपी के सांसद और जद(यू) के विधायक रहने के बावजूद इस सड़क को बनाने की दिशा में किसी ने दिलचस्पी नहीं ली. जिससे लोगों में काफी रोष व्याप्त है. यहां के लोग सांसद-विधायक के नाम से ही बिफर पड़ते हैं. इस सड़क से प्रतिदिन लोग मधुबनी,उच्चैठ,बेनीपट्टी आदि जगह आना-जाना करते हैं. यही नहीं लोग इसी सड़क से उच्चैठ भगवती मंदिर पूजा करने भी जाते है. लेकिन आज तक यह सड़क नहीं बनी. इसके लिए प्रशासन या जनप्रतिनिधियों के द्वारा इस सड़क को बनाने के लिए कोई पहल नहीं की गयी. सड़क पर गहरे-गहरे गड्ढ़े बन गए हैं. इस सड़क पर दुर्घटना आम बात हो गयी है.सड़क की स्थिति इतनी भयावह है की कोई भी यातायात के वाहन इस रास्ते से गांव लाना नहीं चाहता है.और तो और बाइक,साइकिल और पैदल चलने लायक भी यह सड़क नहीं है. इस वजह से यहां के दो दर्जन से अधिक गांव के लोगों को उच्चैठ भगवती स्थान जाने के लिए बसबरिया,लोमा, सलेमपुर,धनौजा होते हुए दस किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। यदि गांव कोई प्रसव पीड़ित महिला को प्रसव पीड़ा हो जाए तो मरने के सिवा कोई चारा नहीं है. ऐसे में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के ऊपर उंगली उठना लाजिमी है.
केंद्र एवं राज्य सरकार भले ही ग्रामीण सड़कों को मुख्य सड़क से जोड़ने का ढिढोंरा पीटती हो,लेकिन यहां तो जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है. जहां स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी कई सवालों को जन्म दे रही है. आखिर क्या मामला है कि वे इन सड़कों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं? वही इस सड़क के नहीं बनने के कारण करीब दो दर्जन गांवों के करीब 15 हजार लोग उबड़-खाबड़ रास्ते पर जान हथेली पर लेकर चलने को मजबूर हैं. इस सड़क के जीर्णोद्धार के लिए न तो किसी जनप्रतिनिधि ने हाथ बढ़ाया न ही किसी प्रशासनिक पदाधिकारी ने. पीएम मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही सबका साथ, सबका विकास नारे के साथ सत्ता में आए थे. लेकिन सांसद- विधायक ने घोषणा पत्र के उद्देश्यों को ही बदल डाला. इस सड़क की तस्वीर को देखकर सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं. जमीनी हकीकत यह है कि चार साल तक विधायक ने अपने एजेंडे से विकास को पूरी तरह गायब रखा, लेकिन चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर से विकास का दर्द विधायक को सताने लगा है. इस बात को हरलाखी की जनता समझ चुकी है। वह पूरी तरह विधायक को सबक सिखाने के मूड में आ गयी है. हालांकि,विधायक सुधांशु शेखर को 2020 में भी किसी चमत्कार की उम्मीद है.यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा कि हरलाखी की जनता विकास के मुद्दे पर किस के सिर पर जीत का सेहरा बांधेगी ?? बहरहाल,इन जर्जर सड़कों से होकर 2020 में विधायक सुधांशु शेखर के विधानसभा पहुंचने की उम्मीदें न के बराबर हैं.
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