पूर्णिया : पुण्यतिथि पर याद किए गए मजदूर नेता स्व लखनलाल झा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

पूर्णिया : पुण्यतिथि पर याद किए गए मजदूर नेता स्व लखनलाल झा

परिजनों ने जरूरतमंदों के बीच किया कंबल का वितरण 
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बांका (आर्यावर्त संवाददाता) : मजदूरों के मसीहा और उनके हक के लिए लड़ने वाले नेता स्व लखनलाल झा की द्वितीय पुण्यतिथि उनके आवास आरा सारूबेरा (कुजू) में उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर मनाई गई। इस मौके पर उनके पुत्र परख कुमार झा (बमबम झा) के अलावा कई गणमान्य लोग पर मौजूद रहे। श्री बमबम झा ने कहा कि उनके पिता जीवन पर्यंत मजदूर नेता रहे और हर वक्त उनकी आवाज बुलंद करते रहे। उनकी पुण्यतिथि पर उन्होंने जरूरतमंदों के बीच कंबल का वितरण किया। वहीं उनके पैतृक गांव राजपुर में भी द्वितीय पुण्यतिथि मनाई गई और जरूरतमंदों के बीच कंबल का वितरण किया गया। उनके पैतृक गांव राजपुर में वहां के स्थानीय लोगों ने सामुहिक रूप से उनकी पुण्यतिथि मनाई और शोक व्यक्त किया। इस मौके पर संजय झा, राजेश सिंह, लाल बाबू, राणा सिंह समेत गांव के बुद्धिजीवी व आमजन मौजूद रहे। अपने संबोधन में संजय झा ने कहा कि स्व लखन लाल झा ताउम्र दूसरों के हक की लड़ाई लड़ते रहे और समाज के कल्याण के लिए उन्होंने कई आयाम स्थापित किए। वहीं राजेश सिंह ने कहा कि उनके किए गए कार्य से समाज के लोग हमेशा उन्हें याद करते रहेंगे। बता दें कि संयुक्त बिहार में करीब पांच दशक व वर्तमान झारखंड बनने के बाद दो दशक तक कोयलांचल की धरती पर अपनी राजनीतिक रसूख व कद्दावर मजदूर नेता के तौर पर स्व लखनलाल झा मशहूर रहे। मजदूरों के हक व हकूक की लड़ाई के लिए वे जीवन पर्यंत कोलियरी के भ्रष्ट पदाधिकारियों के खिलाफ आवाज उठाते रहे। यही कारण रहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत जहां मजदूरों के हक की लड़ाई से की तो जीवन के अंत समय भी मजदूरों के साथ ही बने रहे। बता दें कि 24 दिसंबर 2017 को वे छत्तीसगढ़ के सिंहरौली स्टेशन पर चार मजदूरों काे उनका हक दिलाकर वापस लौट रहे थे और इसी क्रम में उनकी मृत्यु हो गई थी। वे अक्सर कहते रहे लोग अपनी जिंदगी तो सभी जीते हैं लेकिन सच्चा इंसान वही है जो दूसरों के लिए लड़े और जीये। मूल रूप से उनका कार्य क्षेत्र आरा कोलियरी, कुजू व सारूबेरा रहा और जीवन पर्यंत राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ (इंटक) के वरीय पद पर बने रहे। जब झारखंड राज्य का निर्माण नहीं हुआ था उस वक्त जगन्नाथ मिश्र की सरकार थी और 1989 में कांग्रेस पार्टी के पर्यवेक्षक के तौर पर उन्हें सहरसा भेजा गया था। जहां वे महीनों रहे और जनसेवा व राजनीतिक कार्यों में जुटे रहे। इससे पूर्व वे हजारीबाग के महामंत्री बनाए गए थे और लंबे समय तक वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे। हालांकि अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने पद को कभी तरजीह नहीं दी लेकिन मजदरों के हक की लड़ाई में वे अग्रणी भूमिका निभाते रहे। यही कारण है कि उन्हें कोलियरी में अलग राजनीतिक कद प्राप्त था। जो कि उनके जीवन के अंत समय तक बना रहा। इसके अलावे सामाजिक कार्यों में भी वे दिलचस्पी लेते रहे और कई गरीब कन्याओं की शादी हो या फिर अन्य कार्य अपनी उपस्थिति दर्ज जरूर कराते रहे। जिस कारण सामाजिक व राजनीतिक तौर पर वे अपने जीवन के अंत समय तक अद्वितीय बने रहे और समाज के हर तबके में उन्हें उचित मान सम्मान प्राप्त हुआ।

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