वाशिंगटन,19 दिसंबर, अमेरिका ने गुरुवार को कहा कि भारत के नए नागरिकता कानून में ‘धार्मिक मानक को लेकर वह चिंतित’ है लेकिन एक कानून के तौर पर इस पर भारत में विभिन्न संस्थाओं में बहस की जानी है। अमेरिकी विदेश विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने यहां पत्रकारों से कहा “ हम इस कानून में धार्मिक मानक को लेकर चिंतित है लेकिन एक बार फिर यही कहना है कि अब यह एक कानून बन चुका है और इस पर भारत में विभिन्न संस्थाओं में बहस जारी है तथा इसकी समीक्षा की जा रही है। यह ऐसा कानून है जिसकी समीक्षा अदालतों में की जाएगी। इसका विरोध विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से किया जा रहा है। मीडिया में भी इस पर बहस चल रही है और ये सभी संस्थान एक लोकतांत्रिक भारत में अस्तित्व में है और इस प्रकिया का सम्मान करते हैं।” गाैरतलब है कि नए कानून में 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत आने वाले अल्पसंख्यक समुदायों हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन , पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून को भारत की संसद के दाेंनों सदनों ने पारित कर दिया है लेकिन इसका विरोध छात्र समुदाय,बुद्धिजीवी समाज,लेखक, फिल्मी कलाकार आदि कर रहे हैं और उनका कहना है कि यह कानून असंवैधानिक है।
गुरुवार, 19 दिसंबर 2019
नागरिकता कानून को नीति के तौर पर अंधेरे में नहीं लाया गया : अमेरिका
Tags
# विदेश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
विदेश
Labels:
विदेश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें