बिहार : आज जनतंत्र समाज बिहार ने रिपोर्ट को सार्वजनिक किया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 13 जनवरी 2020

बिहार : आज जनतंत्र समाज बिहार ने रिपोर्ट को सार्वजनिक किया

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पटना,13 जनवरी । आज जनतंत्र समाज बिहार के द्वारा निर्मित रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया। एनआर सी/सीएए के विरोध प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारिओं पर जुल्म किया गया। वह भी भक्तों के द्वारा पटना के फुलवारी शरीफ में 21 दिसंबर को एनआर सी / सीएए के विरोध प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारिओं के साथ भक्तों ने क्या कर दिया? राष्ट्रीय जनता दल के आह्वान पर पटना जिले के फुलवारी शरीफ में बंद के दौरान पथराव एवं गोली चलाने की घटना काे सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया।जनतंत्र समाज ने ग्राउण्ड रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक अध्ययन व तथ्यपरक जांच टीम गठित की। यह टीम 5 एवं 6 जनवरी को फुलवारी शरीफ का दौरा  करने गया । इस तथ्यपरक जाँच टीम के सदस्य थे , प्रो रमेंद्र,प्रांतीय अध्यक्ष , प्रभात कुमार ,सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी , अब्दुल अजीज, अधिवक्ता आदि टीम के सदस्यों ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। मृतक एवं घायलों तथा उनके परिवार से मिला। पूरी वस्तु स्थिति  को समझने का प्रयास किया ।   

जनतंत्र समाज बिहार की एक टीम ने लोगों से बात करने पर यह जानकारी मिली की 19 दिसंबर को वामपंथी दलों द्वारा बंद के दौरान  फुलवारी शरीफ में जुलूस निकालना चाहते थे परन्तु किसी कारण से वह टल  गया। 21 दिसंबर को फुलवारी शरीफ में हज़ारों की संख्या में स्वस्फूर्त घरों से निकले और जुलुस में शामिल हो गए। लोगों ने दस हजार की संख्या बताई। इसमें महिलाएं,बच्चे और बुजुर्ग भी थे।  जुलूस में बड़ी संख्या में युवा थे जो मुस्लिम समुदाय से थे। आरजेडी के आह्वान की वजह से गैर मुस्लिम भी  इसमें शामिल हुए  थे। कोई बड़ा दल का नेता इसमें शामिल नहीं था। जुलूस प्रखंड कार्यालय की ओर जा रहा था। लगभग आधा किलोमीटर चलकर जुलूस जब सरस्वती विद्या  मंदिर के कुछ कदम पहले जब संगत मोहल्ला तक पहुंचा। वहां दो , तीन मंझला एवं दो मंझले मकान के छतों से ईट पत्थर चलने लगे।जुलूस में भगदड़ मच गया। जुलुस अनियंत्रित हो गया। इस जुलुस में शामिल  बुजुर्ग एवं महिलाओं ने युवकों को रोकने एवं समझाने का प्रयास किया जो विफल साबित हो गया। जुलूस में शामिल  कुछ लोग जबाब में ईट व पत्थर चलाने लगे। उसी समय कुछ बंदूक एवं पिस्टल से लैस लोग गली से बाहर आये जिनके साथ लगभग  50 लोग थे जुलूस पर फायरिंग प्रारम्भ  कर दी। लोगों ने बताया कि गोली चलता देख तैनात पुलिस भाग खड़ी हुई। तत्काल गोली से नौ लोग घायल हुए। एक छुरे से घायल हुआ। जिसे पुलिस पीएमसीएच एवं आईजीएम एसएस में भर्ती कराई।घायल हुए लोगों में 1. मो. मुमताज पिता मो. असलम को गर्दन में रायफल की गोली लगी। 2.मो.फैजल आलम उम्र 20 वर्ष पिता मो. सैयद आलम को गोली दाहिने जांघ में लगी।3.मो. आलम को गोली पेट की बाई ओर लगी।4. मो.सब्बीर आलम पिता मो. सूबेदार को गोली दाहिने पैर में लगी। 5.मो. अशरफ पिता मो. इस्लाम को गोली पेट की बायीं तरफ लगी। 6.मो. अकबर (पिता) को गोली  लगी।7. मो.शरूर आलम ( पिता) के पैर में गोली लगी तथा पैर भी टूट गयी।8. मो.तौसीफ (पिता ) सर के पास गोली लगी। 9.छुरे से घायल सिविल इंजीनियर शहनवाज़ आलम हुए। उसी दिन जुलूस में तिरंगा झंडा लिए 18 वर्षीय  नौजवान आमिर जब घर नहीं पहुंचा तो पिता ने सुहैल अहमद ने घर वापस नहीं लौटने की लिखित सूचना थाने को दी।  पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया और आमिर को कमजोर दिमाग का लड़का कहकर बात को टालते रहे। एक पुलिस अधिकारी संजय पांडेय का एक अख़बार में इसके समर्थन में वक्तव्य  भी आया। जबकि 10 दिनों बाद डीएसपी कार्यालय महज 100 मीटर दूर जलकुंभी से भरे पानी के गड्ढे से आमिर का हाथ में तिरंगा लिए शव बरामद हुआ। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक उसका पूरा शरीर तेज धारदार हथियार से गोदा गया था तथा सर पर कोई भारी  चीज से चोट दर्ज है।  

हमारी टीम ,छुरे से घायल पेशे से सिविल  इंजीनियर युवक शाहनवाज आलम से  मिलने उसके घर गई। वह पीएमसीएच से वापस लौटे थे। उसने बताया कि वह सेंट्रल बैंक एवं पोस्ट ऑफिस से काम  कर लौट रहा था तो जुलूस पर पत्थर चलते एवं भगदड़ को देखा। वह सरस्वती मंदिर के सटे संगत गली से मजार की ओर घर लौटने के लिए भागा। एक दो मोड़ बाद कुछ खड़े लड़कों ने उसे पकड़ कर पूछा  कि वह हिन्दू है या मियाँ। उसने जान बचाने के लिए हिन्दू कह दिया। पर उसकी ताबीज पर उनकी नजर पड़ गई और जोर से कहा अरे यह तो मियाँ है। उसमे से एक लड़के ने छूरा उसके पेट में मारा। छूरा पेट के नीचे लगा और छूरा टूट कर जमीन पर गिर गया। शाहनवाज झटक कर भागा  एवं सड़क पर एक बाइक से मदद मांगी पर उसने मदद नहीं नहीं की । इतने में उसके पहचान वाले मिल गये उन्होंने उसे मोटरसाइकिल से थाने भेजा जहां से उसे पीएमसीएच भेजा गया। जहां  उसका ऑपरेशन हुआ। यदि वह नहीं भाग पाता, तो आमिर की तरह उसकी भी लाश मिलती। शाहनवाज ने कहा कि मारने वाले असमाजिक तत्व के लोग हैं। हाँ अब उसे सड़क से ज्यादा घर सुरक्षित लगता है। घटना घटने के बाद डी एस पी को वहां से कुछ दिनों के लिए हटाया गया एवं पूर्व में वहां  कार्यरत कंकड़बाग़ से डी एस पी रमाकांत प्रसाद को लगाया गया। उन्होंने तत्परता से स्थिति को नियंत्रित किया। उनके नेतृत्व में योजना बनाने वाले तथा गोली चलाने वाले कुछ व्यक्तियों    को गिरफ्तार किया ।जुलूस के दिन से गायब  आमिर,  के गिरफ्तार  हत्यारे की निशानदेही पर मोबाईल और आमिर की लाश बरामद हो पायी ।   टीम संगत स्थित मंदिर को देखने गई जो पथराव के वजह से छतिग्रस्त थी । हमने मंदिर के फोटो लिए।  वहां पुलिस तैनात थी। पुलिस ने फोटो डिलिट करने को कहा और पूछ ताछ करने से रोक दी।   
  
जनतंत्र समाज बिहार की टीम लोगों से बातचीत के बात यह निष्कर्ष पर पहुंची कि हिंदुत्व की राजनीति करने वाले लोग समाज में फुट डालने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए विशेष योजना बनाकर 21 दिसंबर को जुलूस पर हमला किया। विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए बाहर से लोग बुलाये गए थे ऐसा भी अनुमान कुछ लोगों का है। जुलूस पर पत्थर एवं राइफल से हमला करने वाले लोग जुलूस को रोकने के साथ -साथ  हिन्दू -मुस्लिम दोनों  समुदाय में अलगाव पैदा करना चाहते थे। इसीलिए गोली चलाने ,पत्थरबाजी करने के साथ छुरेबाजी की भी घटना हुई।  परन्तु इनके नापाक इरादे को स्थानीय लोग समझ गए।  और इन्हे स्थानीय जनता का समर्थन नहीं मिला। प्रशासन भी  सचेत  हुई।  लोकतंत्र ,में संवैधानिक तरीके से विरोध दर्ज करने और प्रश्न पूछने का अधिकार जनता को है। परन्तु एक विशेष राजनीति के तहत लोकतांत्रिक अधिकार को छीनने की कोशिश  हो रही है। लोकतान्त्रिक विरोध को रोकने के लिए उनपर   हिंसक हमले कराये जा रहे है। ऐसे   तानाशाही एवं अलोकतांत्रिक व आपराधिक  अलगाववादी कार्रवाईयों की हम   निंदा करते हैं  तथा  आम नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि  ऐसे तत्वों से सावधान रहें तथा ऐसे तत्वों का  आम जनता बहिष्कार करें। सड़कें गलियां  लोगों के लिए महफूज रहे इसके लिए  लोकतांत्रिक गतिविधियों को बढ़ाया  जाए।    
       
टीम का मानना  कि फुलवारी शरीफ में  इतनी बड़ी घटना नहीं घटती यदि प्रशासन सचेत रहता  । इसके लिए दोषी अधिकारियों  को दण्डित किया जाना चाहिए था । टीम को इस बात पर आश्चर्य है कि डी एस पी संजय पांडेय  एवं स्थानीय  प्रसाशन को  बड़े षडयंत्र की  पूर्व  सूचना थी इसके  के बावजूद गंभीर कदम नहीं उठाये गए ।इतनी बड़ी घटना के बाद  डी एस पी को कुछ दिन हटाने के बाद  उन्हें पुनः फुलवारी शरीफ वापस  बुला लिया गया। स्थानीय लोगों का उन पर से विश्वास उठ चुका है इसीलिए उनका स्थानांतरण कही और करना चाहिए ताकि निष्पक्षता से आगे की कार्रवाई हो सके । घटना के बाद सी पी आई एम एल के अलावा किसी राजनैतिक दल के लोग मृतक और घायल लोगों से सहानुभूति जताने नहींआये भारतीय संसदीय लोकतंत्र का आधार  राजनितक दल है। फुलवारी शरीफ में राजद का कोई बड़ा नेता  या सत्ताधारी दल के स्थानीय जद यू के  विधायक व राज्य सरकार में मंत्री भी नहीं पहुंचे न घायल लोगों या मृतक के परिवार से मिले ।आश्चर्य है कि आर जे डी के नेता भी नहीं पहुंचे  जब कि बंद का आह्वान उन्हीं का था। इस तरह की उदासीनता लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। नागरिकों के विचार व्यक्त करने की आजादी को रोकने के लिए जिस तरह से हमले हो रहे हैं। शासन के इशारे पर नागरिकों पर दमन चलाये जा रहे हैं इसका विरोध आवश्यक है।

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