केंद्रीय बजट में किसानों की कर्ज माफी क्यों नहीं, जवाब दो.
पटना 13 फरवरी (आर्यावर्त संवाददाता) आज अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर राजधानी पटना में बुद्ध स्मृति पार्क के पास कई किसान संगठनों के दर्जनों किसान नेताओं व कार्यकर्ताओं ने प्रतिवाद किया और केंद्रीय बजट 2020-21 की प्रतियां जलाई. इस अवसर पर उपस्थित किसान नेताओं ने कहा कि यह बजट किसानों को नहीं बल्कि काॅरपोरेटों का फायदा पहुंचाने वाला है. देश आज भीषण आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है लेकिन बजट में आर्थिक मंदी से उबरने का कोई उपाय नहीं है. गंभीर मंदी की मार से देश तभी उभर सकता है जब आम लोगों की क्रय क्षमता को बढ़ाया जाएगा, लेकिन बजट में इसकी घोर उपेक्षा की गई है. इसमें भी सबसे ज्यादा किसानों की चिंता की जानी चाहिए थी, लेकिन बजट में इसकी घोर उपेक्षा की गई है. यह बजट ग्रामीण मांग पर खरीद क्षमता को प्रोत्साहित नहीं करता है. बजट काॅरपोरेट सेक्टर के मुनाफे को बढ़ाता है. यह बजट किसानों की भारी लागत, फसलों की कम कीमत, फसलों की बहुत सस्ते दाम पर बिक्री और फसल की बर्बादी से कोई राहत नहीं देने वाला है. किसान नेताओं ने कहा कि देश में कंपनियों का शोषण अब और ज्यादा बढ़ेगा, जिसमें वे जमीन किराए पर लेंगी, किसानों को और कर्ज में फंसाएगी, उनकी फसलें और सस्ते दाम में खरीदेंगी और खाद्यान्न प्रसंस्करण करके बिक्री में भारी मुनाफा कमाएंगी. यह बजट मनरेगा, ग्रामीण मजदूरी दर, पेंशन, सिंचाई, डीजल, बिजली, खाद और बीज के लिए सब्सिडी और भूमिहीन किसानों, खेतिहर मजदूरों व बटाईदारों की किसी भी सम्सया को बजट में कुछ भी नहीं कहा गया है. मार्च में अखिल भारतीय किसान महासभा के सह सचिव उमेश सिंह, पटना जिला के सचिव कृपानारायण सिंह, श्रीभगवान सिंह, राजेन्द्र पटेल; किसान सभा (केदार भवन) के बिहार राज्य संयुक्त सचिव प्रभुनारायण राव, पटना जिला के सचिव सोनालाल प्रसाद, विनोद कुमार, कुशवाहा नंदन; किसान मजदूर नौजवान मोर्चा के कल्लू सिंह, रमेशचंद्र प्रसाद, राजो प्रसाद, साधु सिंह यादव, शिव कुमारी विद्यार्थी, अरविंद कुमार आदि उपस्थित थे.
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