पश्चिम बंगाल के बंदेल चर्च में लेंट काल का जुलूस रविवार को - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

पश्चिम बंगाल के बंदेल चर्च में लेंट काल का जुलूस रविवार को

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बंदेल,29 फरवरी। बंदेल चर्च में होने वाली लेंट काल का जुलूस में शामिल होने के  लिए आज ही रात्रि से श्रद्धालुगण आने लगे हैं। हालांकि रविवार को लेंट काल का जुलूस निकलेगा। इस अवसर पर हिंदी में मिस्सा 6:30 बजे से,अंग्रेजी में मिस्सा 9: 00 बजे से, क्रूस रास्ता 11:00 बजे से और क्रूस यात्रा 1.30 बजे से होगी।यह आयोजन पश्चिम बंगाल के कोलकता की बंदेल पल्ली में होगी। यहां पर रोमन कैथोलिक समुदाय का जमावाड़ा होगा। बंदेल पल्ली के पल्ली पुरोहित फादर फ्रांसिस थाथेनरी और मदर सोलिटेरी की अध्यक्ष रेणु क्लारेंस फेलिक्स के अनुसार कोलकाता आर्च डायोसिस और देश के अन्य डायोसिस से लाखों की संख्खा में भक्तगण आ रहे हैं।लगभग सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। सारी तैयारी को अंतिम अंजाम देने वाले अनु आनंद फेलिक्स ने कहा कि 420 साल पूर्व 1600 में पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया है बेसिलिका ऑफ़ द होली रोसरी। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के द्वारा घोषित है प्रमुख पर्यटन स्थल।नोसा सेनहोरा को समर्पित यह चर्च सन 1600 में पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था। पवित्र माला के बेसिलिका के भी नाम से प्रसिद्ध, यह चर्च बंगाली इतिहास में एक बेंचमार्क है। संयोग से, इस चर्च की स्थापना वर्ष की तिथि वही है जो महारानी एलिजाबेथ द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना को मंजूरी देने वाली तिथि है। दुनिया भर से पर्यटक इस चर्च में आते हैं तथा स्थापत्य की दृष्टि से इसका काफी महत्व है।यह बहुत अच्छी तरह से संरक्षित है तथा यहां तीन वेदियां,एक वादन यंत्र तथा और द्वार पर एक हस्ताक्षरित जहाज का मस्तूल शामिल है।बेसिलिका ऑफ़ द होली रोसरी जिसे आमतौर पर बंडेल चर्च के रूप में जाना जाता है, भारत के पश्चिम बंगाल में सबसे पुराने ईसाई चर्चों में से एक है। पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के बंडेल में स्थित यह बेंगा में पुर्तगाली बस्ती के लिए एक स्मारक के रूप में खड़ा है। 1599 स्थापित है। इसे 1660 में खोला गया। आर्च बिशप हैं थॉमस डिसूजा।स्थिति: माइनर बेसिलिका,आर्च डायोसिस: कोलकता के रोमन कैथोलिक आर्च डायोसिस और डीनरी: हुगली है।

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