पदोन्नति में आरक्षण के लिए राज्यों को बाध्य नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 8 फ़रवरी 2020

पदोन्नति में आरक्षण के लिए राज्यों को बाध्य नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

reservation-can-not-be-forced-in-promotion-sc
नयी दिल्ली, 08 फरवरी, उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण न तो मौलिक अधिकार है, न ही राज्‍य सरकारें इसे लागू करने के लिए बाध्‍य है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने अपने एक निर्णय में कहा है कि पदोन्नति में आरक्षण नागरिकों का मौलिक अधिकार नहीं है और इसके लिए राज्य सरकारों को बाध्य नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं, न्‍यायालय भी सरकार को इसके लिए बाध्य नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्‍छेद 16(4) तथा (4ए) में जो प्रावधान हैं, उसके तहत राज्‍य सरकार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के अभ्‍यर्थियों को पदोन्‍नति में आरक्षण दे सकते हैं, लेकिन यह फैसला राज्‍य सरकारों का ही होगा। अगर कोई राज्‍य सरकार ऐसा करना चाहती है तो उसे सार्वजनिक सेवाओं में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की कमी के संबंध में डाटा इकट्ठा करना होगा, क्योंकि आरक्षण के खिलाफ मामला उठने पर ऐसे आंकड़े अदालत में रखने होंगे, ताकि इसकी सही मंशा का पता चल सके, लेकिन सरकारों को इसके लिए बाध्‍य नहीं किया जा सकता। पीठ का यह आदेश उत्‍तराखंड उच्च न्यायालय के 15 नवंबर 2019 के उस फैसले पर आया, जिसमें उसने राज्‍य सरकार को सेवा कानून, 1994 की धारा 3(7) के तहत एससी-एसटी कर्मचारियों को पदोन्‍नति में आरक्षण देने के लिए कहा था, जबकि उत्‍तराखंड सरकार ने आरक्षण नहीं देने का फैसला किया था। यह मामला उत्‍तराखंड में लोक निर्माण विभाग में सहायक इंजीनियर (सिविल) के पदों पर पदोन्नति में एससी/एसटी के कर्मचारियों को आरक्षण देने के मामले में आया है, जिसमें सरकार ने आरक्षण नहीं देने का फैसला किया था, जबकि उच्च न्यायालय ने सरकार से इन कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने को कहा था। राज्य सरकार ने इस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि सहायक अभियंता के पदों पर पदोन्नति के जरिये भविष्य में सभी रिक्त पद केवल एससी और एसटी के सदस्यों से भरे जाने चाहिए। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के दोनों फैसलों को अनुचित करार देते हुए निरस्त कर दिया है।  

कोई टिप्पणी नहीं: