रिजर्व बैंक का नया नारा, ‘‘नकद भव्य,तो डिजिटल दिव्य’’ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

रिजर्व बैंक का नया नारा, ‘‘नकद भव्य,तो डिजिटल दिव्य’’

reserve-bank-slogan-naked-bhavy-digital-divya
मुंबई, 24 फरवरी, रिजर्व बैंक ने देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिये एक नया नारा दिया है। डिजिटल भुगतान को जनता के लिये बेहतर अनुभव बनाने के हरसंभव प्रयास में लगे रिजर्व बैंक का नारा है - ‘‘कैश इज किंग, बट डिजिटल इज डिवाइन’’ अर्थात ‘‘नकदी भव्य है, पर डिजिटल दिव्य है।’’ रिजर्व बैंक का कहना है कि देश में नोटबंदी के बाद से प्रचलन में नोटों की संख्या में 3.5 लाख करोड़ रुपये की कमी आई। इस स्थिति से उत्साहित केन्द्रीय बैंक ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के और जोर शोर प्रयास शुरू किये हैं। देश में लेनदेन को नकद से इलेक्ट्रानिक तरीके में ले जाने की प्रगति का आकलन करते हुये रिजर्व बैंक ने कहा है कि देश में नकद में कितना भुगतान होता है उसको लेकर कोई सही सही माप तो नहीं है लेकिन डिजिटल तरीके से होने वाले भुगतान को पूरी ताह से मापा जा सकता है।  केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि पिछले पांच साल के दौरान डिजिटल तौर तरीकों से लेनदेन में कुल मिलाकर मात्रा के लिहाज से 61 प्रतिशत और मूल्य के लिहाज से 19 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। ये आंकड़े डिजिटल भुगतान की तरफ बढ़ते रुझान को बताते हैं।  आरबीआई ने कहा है, ‘‘नकद राशि का अभी भी प्रभुत्व बना हुआ है लेकिन इसे अब भुगतान के लिये इस्तेमाल करने के बजाय एक आर्थिक संपत्ति के तौर पर मूल्य के रूप में देखा जा रहा है।’’ केन्द्रीय बैंक ने आगे कहा है कि अक्टूबर 2014 से अक्टूबर 2016 के दौरान प्रचलन में जारी नोटों में औसतन 14 प्रतिशत दर वृद्धि हुई। इसके आधार पर अक्टूबर 2019 में प्रचलन में नोटों का मूल्य 26,04,953 करोड़ रुपये होना चाहिये था। लेकिन यह वास्ताव में 22,31,090 करोड़ रुपये रहा। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि डिजिटलीकरण प्रचलन में 3.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोटों की जरूरत कम हुई ।’’ 

कोई टिप्पणी नहीं: