ऐतिहासिक फैसलों से सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक ढांचे को किया मजबूत : कोविंद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

ऐतिहासिक फैसलों से सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक ढांचे को किया मजबूत : कोविंद

supreme-court-strengthened-constitutional-framework-with-historical-decisions-kovind
नयी दिल्ली, 23 फरवरी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में न्यायपालिका की प्रगतिवादी सोच की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए रविवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसलों ने देश के कानूनी और संवैधानिक ढांचे को मजबूती प्रदान की है। श्री कोविंद ने ‘न्यायपालिका और बदलती दुनिया’ विषयक अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत हमेशा से सक्रिय एवं प्रगतिशील रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन की अगुवाई की है। उन्होंने नौ स्वदेशी भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने के लिए शीर्ष अदालत के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि भारत की भाषायी विविधता को ध्यान में रखते हुए विभिन्न भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने का उच्चतम न्यायालय का प्रयास असाधारण है। श्री कोविंद ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसलों ने भारत के कानूनी एवं संवैधानिक ढांचे को मजबूती दी है। उन्होंने लैंगिक न्याय के लक्ष्य पर आगे बढ़ने के लिए भारतीय न्यायपालिका के प्रयासों की भी सराहना की। राष्ट्रपति ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए लागू किये गये दो दशक पुराने विशाखा दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि इसे यदि एक उदाहरण के तौर पर लें तो लैंगिक न्याय के लक्ष्य को हासिल करने के लिए उच्चतम न्यायालय हमेशा से सक्रिय और प्रगतिशील रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए दो दशक पहले दिशा-निर्देश जारी करने से लेकर सेना में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए इस महीने निर्देश जारी करने तक शीर्ष अदालत ने प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन की अगुवाई की है। 

कोई टिप्पणी नहीं: