नयी दिल्ली, 23 फरवरी, भारत के मुख्य न्यायाधीश् (सीजेआई) शरद अरविंद बोबडे ने रविवार को कहा कि न्यायपालिका संवैधानिक मूल्यों की संरक्षक है और कानून के शासन की प्रतिबद्धता के साथ जनवादी ताकतों की सेवा करती है। न्यायमूर्ति बोबडे ने यहां अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाओं को न्यायपालिका में शामिल करना न्यायपालिका के दायित्वों में अंतर्निहित है। उन्होंने कहा, “हम ‘न्यायपालिका एवं लैंगिक न्याय’ पर इस सम्मेलन में आयोजित सत्र के दौरान इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि लैंगिक समानता के लिए व्यापक उपाय किये जाने की आवश्यकता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका पर देश के एक अरब 30 करोड़ लोगों के अधिकारों की रक्षा का दायित्व है। उन्होंने कहा, “देश में करीब साढे सत्रह हजार अदालतें हैं। एक वैसे देश जहां 22 भाषाएं और कई हजार बोलियां बोली जाती हैं, शीर्ष अदालत ने फैसलों का अनुवाद नौ भाषाओं में कराने का निर्णय किया है।”
सोमवार, 24 फ़रवरी 2020
लैंगिक समानता के लिए व्यापक उपाय करना जरूरी : सीजेआई
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