भारत में गायों को बहुत लोग माँ का दर्जा देते हैं : हर्षा कुमारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 16 मार्च 2020

भारत में गायों को बहुत लोग माँ का दर्जा देते हैं : हर्षा कुमारी


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दिल्ली,16 मार्च। भारत में गायों को तो पूजा जाता है। गायों को बहुत लोग माँ का दर्जा देते हैं। क्या कोई अपनी माँ के साथ ऐसा व्यवहार करता है?” यह सवाल कर जवाब देते वक्त हर्षा कुमारी लिखती हैं, “राजधानी की 10 डेयरी कालोनियों में गायों और भैसों के पास ना पर्याप्त खाना है और ना पानी। उन्हें घंटों एक ही जगह बांधकर रखा जाता है। ना ही उनके पास स्वास्थ्य सेवाएं हैं और कई बार तो चोटिल होने पर उनको इलाज के बिना ही रहना पड़ता है। वह कहती है कि इन गायों और भैसों पर अत्याचार बंद हो।

बेज़ुबानों के साथ अत्याचार ना हो
हज़ारों गायों और भैंसों पर खामोशी से अत्याचार हो रहा है, पर कोई उनकी आवाज़ नहीं सुनता।भारत में गायों को तो पूजा जाता है। गायों को बहुत लोग माँ का दर्जा देते हैं। इसके बावजूद वो सड़कों पर कचरा खाने के लिए छोड़ दी जाती हैं, कोई उनका ख्याल नहीं रखता।क्या कोई अपनी माँ के साथ ऐसा व्यवहार करता है?

दिल्ली सरकार के एक ताज़ा निरीक्षण
दिल्ली सरकार के एक ताज़ा निरीक्षण में पाया गया कि राजधानी की 10 डेयरी कालोनियों में गायों और भैसों के लिए बेसिक सुविधाएं भी नहीं हैं। वो सच में भगवान भरोसे हैं!उनके पास ना पर्याप्त खाना है और ना पानी। उन्हें घंटों एक ही जगह बांधकर रखा जाता है। ना ही उनके पास स्वास्थ्य सेवाएं हैं और कई बार तो चोटिल होने पर उनको चोट के इलाज के बिना ही रहना पड़ता है।इन बेज़ुबानों के तकलीफ़ देकर मेरा दिल रोता है। मेरी पेटीशन पर हस्ताक्षर करें और इसे इतना शेयर करें कि इनकी रक्षा हो सके।

मुनाफ़ा कमाने के लिए डेयरी वाले करते
दिल्ली सरकार के निरीक्षण का संज्ञान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी लिया। पाया गया कि इन डेयरियों में महज़ मुनाफ़े के लिए इन बेज़ुबानों के साथ ये सब हो रहा है। हर्षा करती हैं जब थ्योड़ी और रिसर्च की तो चौंकाने वाली बातें पता चलीं। वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन संस्था के अनुसार भारत में तकरीबन 5 करोड़ डेयरी जानवर ऐसे ही खामोशी से कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।इन जानवरों को पर्याप्त खाना और पानी मिलना चाहिए और इन्हें चरने के लिए खुली जगह और स्वास्थ्य सेवाएं। ये सब तभी होगा जब इन डेयरियों को शहर के बाहर बड़ी जगह में बसाया जाएगा। दिल्ली की 10 डेयरी कालोनियां 1980 के दौरान वजूद में आईं, पर कई साल बीतने के बाद अब ये रिहाइशी इलाकों में बदल चुकी हैं। इसका नतीजा ये है कि जानवरों के लिए कम जगह बची है।मेरी पेटीशन पर हस्ताक्षर करें और दिल्ली के मुख्यमंत्री से मांग करें कि वो लाखों बेज़ुबान जानवरों की रक्षा के लिए दिल्ली की इन डेयरियों को शहर के बाहर शिफ्ट करें।अपने हस्ताक्षर से इन बेज़ुबानों को आवाज़ दें। इस पेटीशन को शेयर करें ताकि उनका जीवन बदले।

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