नयी दिल्ली, 05 मार्च, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता कोलिन गोंजाल्विस को गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से उस वक्त करारा झटका लगा जब दिल्ली हिंसा मामले के एक याचिकाकर्ता हर्ष मंदर की याचिका में हिंसा पीड़ितों की ओर से हस्तक्षेप करने की उन्हें अनुमति नहीं दी गयी। श्री गोंजाल्विस ने हर्ष मन्दर मामले में मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष मेंशनिंग करते हुए कहा कि वह हर्ष मन्दर के बयान की ट्रांसक्रिप्ट खंडपीठ के रिकॉर्ड पर रखना चाहते हैं। लेकिन न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, “सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह काम पहले ही कर दिया है। हमें इस कार्यवाही में आपकी जरूरत नहीं है।” श्री गोंजाल्विस ने कहा,“माय लार्ड, मैं खुद को इसके लिए जिम्मेदार महसूस कर रहा हूँ। मैं दिल्ली उच्च न्यायालय में उनका वकील था।” मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “अब आप इस कार्यवाही का हिस्सा नहीं हैं। मिस्टर गोंजाल्विस, कृपया इससे दूर रहें। आपका इस कार्यवाही से अब कोई लेना-देना नहीं है।” इसके बाद श्री गोंजाल्विस ने हिंसा पीड़ितों को पक्षकार बनाने की मांग की, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने श्री गोंजाल्विस की यह मांग खारिज कर दी। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय के खिलाफ हर्ष मंदर के विवादित बयान को लेकर शीर्ष अदालत में कल सुनवाई करेगा।
गुरुवार, 5 मार्च 2020
दिल्ली हिंसा पीड़ितों को हर्ष मंदर मामले में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं
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