लॉक डाउन : सवारी नहीं मिलने के कारण राजस्थान से बिहार के लिए पैदल यात्रा शुरु - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 25 मार्च 2020

लॉक डाउन : सवारी नहीं मिलने के कारण राजस्थान से बिहार के लिए पैदल यात्रा शुरु

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अरुण शाण्डिल्य (बेगूसराय) कोरोना वायरस के खतरे को लेकर पूरे देश को 14 अप्रैल तक लॉक डाउन कर दिया गया है।ट्रेन,बस और हवाई सवारी सहित सारी यातायात सेवाएं बन्द कर दी गई है।ऐसे में जो जहाँ है वहीं फँसा हुआ है।इसी बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जो आपको आश्चर्यचकित कर देगा।सेवा बन्द होने के बाद राजस्थान से बिहार के लिए या यूँ कहें कि अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज कराने के ख्याल से 14 मजदूर पैदल ही निकल रास्ता नापने निकल पड़े हैं। रोजी-रोजगार बन्द हो जाने के कारण अपने घर को लौटते ये मजदूर तीन दिन पैदल चलकर मंगलवार को जयपुर से आगरा तक पहुँचे हैं। अभी भी इन्हें लगभग 1000 किलोमीटर का रास्ता तय करना बाकी है।भूख-प्यास से इन सभी की हालत खराब है।सूत्रों से जानकारी मिली है कि बिहार के सिफॉल निवासी एक मजदूर ने बताया कि एक महीने पहले अपने 14  साथियों के साथ जयपुर के कोल्ड स्टोरेज में काम करने के लिए गया था।अभी 25 दिन ही हो पाए थे कि सरकार के आदेश पर कोल्ड स्टोर को बन्द कर दिया गया।इसके बाद कोल्ड स्टोर मालिक ने दो हजार रुपये देकर उन्हें घर जाने को बोल दिया।मगर जयपुर में कर्फ्यू लगे रहने के कारण किसी भी तरह की कोई सवारी नहीं मिलने के कारण कोई वाहन नहीं मिला तो हिम्मत करके अपने अपने घरों की ओर पैदल ही चलने की ठान ली और चल भी दिए।अबतक तो कुछ दूरियाँ भी तय कर लिए हैं अब आगे और कितना दिन चलकर अपने अपने गन्तव्य पर पहुँचेंगे या सरकार इन्हें कहीं कोई आश्रय दे देगी यह तो अभी कहा नहीं जा सकता है।आगे आपको यह भी बता दूँ कि ये सभी लोग 21 मार्च को जयपुर से निकले थे और मंगलवार को आगरा पहुँच पाए हैं।रास्ते में खाने-पीने का सामान न मिल पाने की वजह से भूखे पेट चल रहे हैं। रास्ते में अगर कहीं कुछ मिल गया तो उसी से अपने उदर क्षुदा को शांत कर आगे की सफर पर चल देते हैं।उन्हें करीब 1000 किलोमीटर की दूरी और भी अपने जिले में जाने के लिए तय करना है। रास्ते में पुलिस रोकती भी है तो वे सारी वाकया से अवगत कराते हुए पैदल ही अपने घर जाने की गुहार लगाते हुए आगे निकल पड़ते है।अब आगे यह सोचने की बात है कि अगर ये लोग येन-केन प्रकारेण अपने जिला पहुँच भी जाते हैं तो क्या जिला प्रशासन इन्हें घर जाने की अनुमति प्रदान करेगी या इन्हें किसी आइसोलेशन वार्ड में जाँच-पड़ताल के लिए नहीं ले जाया जाएगा,कहीं इनमें से किसी को भी या यूँ भी अंदाजन सब साथ ही हैं तो क्या कोरोना से बचे होंगें।भगवान न करे कि इनके ऊपर कोरोना का असर हुआ हो परन्तु यह बीमारी ही ऐसी संक्रमण की है जिसके कारण पिता पुत्र पर और पुत्र पिता पर भरोसा नहीं करने को बाध्य है आज की तारीख में।इसलिए इन सबों को चाहिये था कि वहीं राजस्थान में ही राजस्थान प्रशासन से मदद की माँग करते और वहीं तबतक खुद को सुरक्षित रखते इस लॉक डाउन तक इन्तजार करते।

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