झारखंड में नई तकनीक और रिसर्च से दूर होगी खाद्यान्न की कमी, कृषि विज्ञान केंद्र की पहल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 16 मार्च 2020

झारखंड में नई तकनीक और रिसर्च से दूर होगी खाद्यान्न की कमी, कृषि विज्ञान केंद्र की पहल

new-technology-jharkhand-agriculture
जमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता) सरायकेला जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में 9वी वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया. इस मौके पर वैज्ञानिक सलाहकार समिति की ओर से बीते वर्ष किए गए कार्यों की समीक्षा की गयी. इस मौके पर सरायकेला के राजनगर की रहने वाली और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजी गई चामी मुर्मू को सम्मानित किया गया.  जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में 9वी वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें सरायकेला समेत आसपास क्षेत्र के सभी कृषि वैज्ञानिक शामिल हुए. इस मौके पर वैज्ञानिक सलाहकार समिति की ओर से बीते वर्ष किए गए कार्यों की समीक्षा की गयी. वहीं आगामी वर्ष में कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने संबंधित कई महत्वपूर्ण विषयों पर भी योजनाएं तैयार की गयी.  मौके पर मुख्य रूप से शामिल बिरसा कृषि केंद्र के निदेशक डॉ आरएस कुरील ने कहा कि झारखंड में 25 से 30 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन की कमी है. जिसे दूर करने के उपाय राज्य भर में कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से किए जा रहे हैं. राज्य भर में कृषि विज्ञान केंद्र ने तकनीक और शोध की बदौलत कृषि और खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने को लेकर प्रयासरत हैं. उन्होंने मौजूद कृषि वैज्ञानिकों को नई तकनीक अपनाकर खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाने समेत कृषि के लिए खेती योग्य भूमि पर उर्वरकता बढ़ाने संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की. इस मौके पर उन्होंने बताया कि झारखंड में अभी भी प्रतिवर्ष 25 से 30 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन की कमी है. जिसे दूर करने संबंधित नए शोध और उपाय राज्य भर में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किए जा रहे हैं. कृषि निदेशक डॉ आरएस कुरील ने बताया कि झारखंड में 38 लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है. लेकिन अब तक सिर्फ 28 लाख हेक्टेयर भूमि पर ही खेती की जा रही है. बांकी बचे 10 लाख हेक्टेयर जमीन पर खेती के लिए कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से उत्पादन की क्षमता को बढ़ाया जायेगा. इस मौके पर सरायकेला के राजनगर की रहने वाली और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजी गई चामी मुर्मू को सम्मानित किया गया. इस मौके पर चामी मुर्मू ने कहा कि वन एवं पर्यावरण संरक्षण के साथ अब जल संचय अभियान को आगे बढ़ाना है, ताकि कृषि क्षेत्र में इसका लाभ किसानों को मिल सकें. साथ ही उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से बताए गए उपाय और तकनीक को अपनाकर अब वे किसानों को भी जागरूक करने का कार्य करेंगी, ताकि किसान भी अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें. इस अवसर पर हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किसान सोखेंन हेंब्रम भी सम्मानित किये गए

कोई टिप्पणी नहीं: