बिहार : सम्पन्न हुआ 9 बजे का 9 मिनटों के लिए यह प्रकाश रहित प्रकाशोत्सव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 5 अप्रैल 2020

बिहार : सम्पन्न हुआ 9 बजे का 9 मिनटों के लिए यह प्रकाश रहित प्रकाशोत्सव

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अरुण शाण्डिल्य (बेगूसराय) प्रधानमंत्री के आह्वान पर आज 4 अप्रेल 2020 को रात्रि ठीक 9 बजे से 9 मिनट के लिए जो प्रकाश रहित प्रकाशोत्सव मनाने के निर्देशों का पालन पूरे देश ने किया। आखिर ऐसा क्यों ?  ऐसा इसलिए नहीं कि कोरोना का प्रकोप खत्म हो जाएगा,वल्कि इसलिए कि जब कभी भी भारत को किसी भी संकटों से गुजरना पड़ता है तब सम्पूर्ण भारतीय एकमत होकर उस विषम से विषम परिस्थितियों में आदि काल से ही एकता एयर अखण्डता का मिशाल कायम करते आया है।आज भी इस कोरोना जैसी आपदाओं की घड़ी में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी दुनियाँ को यह दिखाने के लिए प्रकाश रहित प्रकाशोत्सव का आह्वान किया।इस आह्वान को पूरे देश ने पालन करते हुए अपनी ताकत,एकता और अखण्डता का परिचय दिया है।आज इस विषम।परिस्थिति में सभी भारतीय अपने माननीय प्रधानमंत्री के प्रकाश रहित प्रकाशोत्सव के आह्वान का ही नहीं वल्कि 21 दिनों के लॉक डाउन का भी अक्षरसः पालन किया।हम सम्पूर्ण भारतवासी अपने प्रधानमंत्री को यह विश्वास दिलाते हैं कि संकट के इस घड़ी से उबरने के लिए समय समय पर जो भी उनका दिशा निर्देश होगा हम पालन करेंगे। भारत विश्व गुरु था,विश्व गुरु है और प्रलयकाल तक भारत विश्व गुरु रहेगा,ऐसा हम भारतीयों का विश्वास है।क्योंकि हमारा भारत सांस्कृतिक परम्परा,सभ्यता,धैर्य और आध्यात्मिक शक्ति से ओत-प्रोत है।सम्पूर्ण विश्व पृथ्वी को एक ग्रह,पिंड,गोला समझता है और हम भारतीय इस पृथ्वी को माँ समझते हैं।धरती हमारी माता है तो पिता आसमान,याना ही नहीं यह भारत की भूमि वीरों की भूमि है,तपस्वियों, ऋषि-मुनियों,दानवीर कर्ण और राजा भरत की ये भारत भूमि है।सोने की चिड़ियों का देश है ये।चाहे जितना भी भारी से भारी आपदा, विपदा क्यों न आये चाहे वो प्राकृतिक आपदा हो या किसी क्षुद्र शत्रुओं द्वारा जैविक आपदा हो उसपर विजयी हमेशा भारतीयों ने पाया है और आजभी इस कोरोना रुपी संकटों पर विजय पताका लहराएगा ये भारत।हाँ ये अलग बात है कि इसके लिए हम भारतीयों को भी कुछ कीमत तो चुकाना ही पड़ेगा और उसके लिए हम भारतीय तन,मन,धन के साथ कर्म से भी तैयार हैं।

एक बात और
वह बात यह है कि अगर हम ढोल नगारे पिट सकते हैं,दिपावली माना सकते हैं तो अन्धेरा भी कायम कर सकते हैं।हम अगर ऋषि दधीचि की तरह अपना अस्थि दान करने की क्षमता रखते है तो हम परशुराम की तरह संहार करने की भी क्षमता रखते हैं।

मतलब 
आज के इस संकट कालीन दौड़ में भी ये साबित कर दिये हैं कि हम अपने नायक के एक आवाज पर अगर मरने की क्षमता रखते हैं तो एक आवाज पर संहार भी करने की क्षमता रखते हैं।

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