आलेख : सबसे बड़ा दानवीर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

आलेख : सबसे बड़ा दानवीर

corona-relief-donar
कोराना के भीषण संकट में गुजर रही दुनिया में पीडि़तों की मदद हेतु काफी लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार राहत सामग्री अथवा आर्थिक सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इनमें कोई हजारों का, कोई लाखों का तो कोई करोड़ों का भी सहयोग प्रदान कर रहा है। लेकिन कोई भीख मांग कर गुजारा करने वाला अपंग व्यक्ति अपने घर की मरम्मत के लिए दो साल भीख मांग कर जमा किये रुपये भी कोरोना पीड़ितों के लिए दान कर दें, तो उसे सबसे बड़ा दानवीर नहीं कहा जाये तो क्या कहा जाये? बंगलादेश के झीनाईगाती उप-जिले के कांशा युनियन के गांधी गाँव में रहने वाले 80 वर्षीय नजिमुद्दीन ने विगत दो वर्षों में लोगों से भीख मांगकर 15 हजार रुपये एकत्र किये थे, जिनसे इस वर्ष वर्षा ऋतु के पहले ही अपने जर्जर घर की मरम्मत करने का इरादा था। लेकिन कोरोना के रूप में दुनिया पर आई भयंकर विपदा के वक्त देशवासियों की मदद हेतु उसने अपनी दो सालों की जमा पूंजी में से 10 हजार रुपये उप-जिला अधिकारी के जरिये सरकार के रिलीफ फंड में दान दे दिये, ताकि उनसे कुछ लोगों की कुछ दिनों तक भूख मिटाई जा सके, भूख में बिलबिला रहे लोगों के प्राण बचाये जा सके। उसने कहा कि विपत्ति के वक्त अपनी जमा पूंजी को जनकल्याण के काम पर खर्च कर वह खुद को सौभाग्यशाली मानता है।

एक ओर राजनैतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता, दलाल सरकारी रिलीफ हड़प कर मानवता के मुँह पर कालिख पोत रहे हैं तो दूसरी ओर नजिमुद्दीन सरीखे लोग अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में रहना मंजूर कर भी पीड़ित जनों की मदद हेतु अपनी जमा पुंजी दान कर मानवता का नया अध्याय रच रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नजिमुद्दीन पहले मेहनत-मजूरी कर अपना परिवार पालता था, लेकिन बाद में शारीरिक रूप से पंगु होने के कारण वह भिक्षावृत्ति कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने पर मजबुर हो गया। उसके परिवार में पंगु पत्नी के अलावा तीन बेटे व तीन बेटियां भी हैं, जिनका पालन-पोषण भीख के जरिये हासिल पैसों से ही करता है। बिल गेट्स-जेक मा-टाटा-बिड़ला-अम्बानी-अडानी सरीखे धनकुबेरों द्वारा दान में दिये गये करोड़ों-अरबों रुपयों के दान की बनिस्बत नजिमुद्दीन के दस हजार रुपयों की अहमियत बहुत ज्यादा कही जा सकती है क्योंकि सामर्थ्यवान की बनिस्बत असमर्थ व पंगु व्यक्ति द्वारा 2 सालों तक भीख मांगकर एकत्रित किये गये रुपये पीड़ित मानवता के लिए दान देने वाला ही सबसे बड़ा दानवीर कहा जायेगा।

- राजकुमार झाँझरी-

कोई टिप्पणी नहीं: