जमशेदपुर : टीएमएच में कोरोना जांच शुरू, 18 लोगों का हुआ टेस्ट, सारे निगेटिव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

जमशेदपुर : टीएमएच में कोरोना जांच शुरू, 18 लोगों का हुआ टेस्ट, सारे निगेटिव

जमशेदपुर के टाटा मेन अस्पताल को आईसीएमआर से कोरोना टेस्ट की अनुमति मिलने के बाद शुक्रवार से सैंपलों की जांच शुरू हो गयी है. शुक्रवार को सात और शनिवार को 11 टेस्ट किये गये जो निगेटिव आए हैं.
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जमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता)  टाटा मेन अस्पताल को आईसीएमआर से कोरोना टेस्ट की अनुमति मिलने के बाद शुक्रवार से सैंपलों की जांच शुरू हो गयी है. शुक्रवार को सात और शनिवार को 11 टेस्ट किये गये. यह 18 टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आयी है. यह जानकारी शनिवार को टाटा स्टील की ओर से आयोजित टेली प्रेस कांफ्रेंसिंग में मेडिकल सर्विसेस चीफ डॉ राजन चौधरी ने दी डा0 राजन चौधरी ने बताया कि टीएमएच की लैब को एक महीने पहले ही कोरोना टेस्ट के लिए तैयार कर लिया गया था. अनुमति मिलने के बाद सैंपल की जांच भी शुरू की दी गयी है. मालूम हो कि इसके पूर्व टीएमएच में केवल सैंपल लिया जा रहा था. आईसीएमआर से अनुमति मान्यता नहीं मिलने की वजह से सैंपल एमजीएम अस्पताल भेजा जा रहा था. डॉ चौधरी ने यह भी जानकारी दी कि टीएमएच में होने वाले कोरोना टेस्ट के लिए 45 सौ रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है. हालांकि प्रशासन की ओर से भेजे गए मरीज, बीपीएल श्रेणी के मरीजों से शुल्क नहीं लिया जायेगा. इसके अलावा टाटा स्टील कर्मचारियों को भी यह सुविधा मुफ्त मिलेगी. वर्तमान में टीएमएच लैब में प्रतिदिन 40 से 50 सैैंपल जांच की व्यवस्था है. डॉ चौधरी ने बताया वर्तमान में किट उचित मात्रा में उपलब्ध नहीं है. किट जब मांग के अनुसार उपलब्ध होने लगेगा, तो सैंपलिंग और रिपोर्ट में तेजी आयेगी. डॉक्टर राजन चौधरी ने एक डॉक्टर होने के नाते लोगों से यह अपील की है कि लॉकडाउन का पालन इसलिए न करें कि सरकार ने इसे लागू किया है. बल्कि इसलिए करें क्योंकि कोरोना से बचने के लिए वर्तमान में कोई उपाय नहीं है. वर्तमान समय रिलैक्स होने का नहीं बल्कि एहतियात बरतने का है. लॉकडाउन इलाज नहीं बल्कि यह लोगों बचाने का एक तरीका का है. कोरोना को लेकर शुरू हुए प्लाजमा थेरेपी पर उन्होंने कहा कि यह इलाज नहीं है बल्कि मेडिकल साइंस इसे फिलहाल एक एक्सपेरिमेंटल कदम मान रही है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोरोना के इलाज को लेकर न तो कोई मॉडल है और न किसी देश के इलाज प्रक्रिया को बेंच मार्क माना जा सकता है.

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