बिहार : ओझाओं से झाड़-फूंक करवाने के 22 दिनों के बाद पटना एम्स पहुंचा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

बिहार : ओझाओं से झाड़-फूंक करवाने के 22 दिनों के बाद पटना एम्स पहुंचा

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पटना,16 अप्रैल। और नवल किशोर राय उर्फ कमल किशोर राय बीमार हैं। वह विगत 02 वर्षों से अधिक समय से राज्य से बाहर की कोई यात्रा नहीं की है। इस दौरान वह लगातार बीमार चल रहा है। बीमारी के आलोक में उनके सहोदर भाई विपिन राय एवं चचेरे भाई बालकिशुन राय ने गांव के ही सेठा राय का नाव का प्रबंध किया। उसपर बैठाकर पहली बार इलाज करवाने 23 मार्च, 2020 को सेन्ट्र्ल हाॅस्पीटल,खुसरूपुर,पटना ले गये। विभिन्न हाॅस्पीटलों और ओझाओं से झाड़-फूंक करवाने के 22 दिनों के बाद ग्रामीण चिकित्स नन्हक राय के सहयोग से एम्स,पटना में दाखिल हुए। एम्स,पटना में कोरोना जांच शुरू होने के पहले दिन बुधवार को पांच मरीजों में से एक मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आया। रिपोर्ट आने के बाद एम्स प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हो गई है। वहीं जिला स्वास्थ्य विभाग के हाथ और पांव फूंलने लगा है। कई जगहों से चक्कर लगाकर नवल किशोर राय उर्फ कमल किशोर राय इलाज करवाने एम्स,पटना में आये। एम्स,पटना में कोरोना जांच शुरू होने के पहले दिन बुधवार को पांच मरीजों में से एक मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आया। रिपोर्ट आने के बाद एम्स प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हो गई है। जिस व्यक्ति का कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आया है, वह वैशाली के राघोपुर का रहने वाला है और उसकी उम्र 35 साल है।  जो खबर अब सामने आ रही है वह राजधानीवासियों के साथ ही बिहार सरकार को चिंता में डालने वाली है। मिली जानकारी के अनुसार राघोपुर (वैशाली) के जिस व्यक्ति में कोरोना पॉजिटिव पाया गया है,उस व्यक्ति का 23 मार्च से लेकर चार पांच दिनों तक को सेन्ट्र्ल हाॅस्पीटल,खुशरूपुर,पटना इलाज चला। सेन्ट्र्ल हाॅस्पीटल, खुसरूपुर, पटना इलाज के दरम्यान मरीज के सहोदर भाई विपिन राय,चचेरे भाई जगदीश राय,पत्नी माजो देवी देखने जाते थे। खुसरूपुर में ही रहने वाले पिता गुमिता राय, शिवजी राय और नवल किशोर राय मिलने क्लिनिक में जाते थे। उसके बाद सेठा राय के नाव से ही वापस राधोपुर चले आयें। परिजनों ने बताया कि गांव के लखनदेव भगत तथा कृष्णा भगत नामक दो ओझाओं ने भी उसकी झाड़-फूंक की थी। ओझा के पुत्र जीतलाल, सकल राय, ग्रामीण चिकित्सक नन्हक राय, संजय राय ,सिपाही, अरविंद,विष्णु तथा दारोगा भी मिलने आते थे। इसके अतिरिक्त गांव के अन्य लोग भी हाल-चाल पूछने घर आते रहते थे।  जब हालात में सुधार नहीं हुआ तो उक्त कोरोना पॉजिटिव मरीज को पुनः 3 अप्रैल को चिकित्सीय जांच हेतु पटना के न्यू बाईपास रोड स्थित पॉपुलर हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया। इसके लिए गांव के ही ग्रामीण चिकित्सक एक सफेद बोलेरो से यहां पहुंचे। इलाज के दौरान उक्त मरीज की 5 अप्रैल को मीठापुर बस स्टैंड स्थित बंगाली टोला में सोना डायग्नोस्टिक में जांच कराया गया, साथ ही 4 अप्रैल को राजेंद्र नगर पुल के पास डॉक्टर कॉलोनी स्थित मैक्स लाइफ डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर में भी जांच हुआ। उसके बाद 7 अप्रैल को पॉपुलर हॉस्पीटल से उक्त व्यक्ति को डिस्चार्ज कर दिया गया और डिस्चार्ज के उपरांत ग्रामीण चिकित्सक ने कच्ची दरगाह से एक निजी एंबुलेंस को बुलाकर वापस वैशाली स्थित राघोपुर घर ले आए। फिर 14 अप्रैल को ग्रामीण चिकित्सक नन्हक राय के द्वारा गांव के बोलेरो वाहन को किराए पर लेकर कोरोना पॉजिटिव मरीज को पटना एम्स ले जाया गया। इस दौरान मरीज के साथ उनकी पत्नी, मां और भाई शामिल थे। जिला स्वास्थ समिति वैशाली ने कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आने वाले उनके संभावित रिश्तेदार की भी जानकारी दी है। उसकी पटना के दो निजी अस्पताल में भी इलाज हुआ था। ये सब पीड़ित की केस हिस्ट्री से पता चला है। 15 मई को मामला सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मच गया है। पीड़ित से मिलने वालों की खोज खबर की जा रही है। ऐसे सभी लोगों को कोरेंटाइन करने की सख्त कार्रवाई जारी है। खुसरूपुर के तमाम लोगों को सतर्क रहने का समय आ गया है। सभी लोग घरों में रहे और अपने व परिवार के साथ समाज को सुरक्षित रखने में प्रशासन का सहयोग करें। बताया जाता है कि उस कोरोना पॉजिटिव मरीज राघोपुर पूर्वी, थाना-जुङावनपुर, प्रखंड- राघोपुर, जिला- वैशाली का रहने वाला है। जिला स्वास्थ्य समिति, वैशाली के जिला कार्यक्रम प्रबंधक के अनुसार कोरोना पॉजिटिव मरीज बीते 2 वर्ष से अधिक समय से राज्य से बाहर की कोई यात्रा नहीं की है, वह लगातार बीमार चल रहे हैं। जब उक्त व्यक्ति की हालत में सुधार नहीं हुआ तो उसके सहोदर भाई, चचेरे भाई ने बीते 23 मार्च को नाव द्वारा वैशाली से पटना जिला के खुसरूपुर स्थित सेंट्रल हॉस्पीटल में इलाज हेतु लाया, यहां उसका चार से पांच दिनों तक इलाज चला, उसके बाद उन्हें वापस नाव से ही राघोपुर ले जाया गया। बताया जाता है कि उन्हें देखने के लिए सहोदर भाई, चचेरे भाई, पत्नी देखने आते थे। इसके अलावा खुसरूपुर में रहने वाले उनके करीबी भी मिलने क्लिनिक आते रहते थे। परिजनों के अनुसार जब कोरोना पॉजिटिव मरीज की स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो गांव के दो भगत द्वारा उक्त कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति का झाड़-फूंक भी कराया गया इस दौरान बताया जाता है कि झाड़ फूंक करने वाले भगत के 3 पुत्र, सिपाही, दरोगा भी उक्त मरीज से मिलने आते थे। इसके अतिरिक्त गांव के अन्य लोग भी हालचाल पूछने घर आते रहते थे।

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