बिहार : जहानाबाद से धनरूआ प्रखंड के नीमा प्रखंड में आने वाले शख्स के घर पर हमला - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

बिहार : जहानाबाद से धनरूआ प्रखंड के नीमा प्रखंड में आने वाले शख्स के घर पर हमला

दिल्ली से बिहार आने पर युवक के गांव पहुंचने की सूचना पर पहुंची डॉक्टर्स और पुलिस टीम पर हमला.... पटना जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र,धनरूआ के मेटिकल टीम क्वारंटाइन छु़ड़ाने पर हमला होने के पूर्व ही मेडिकल टीम भाग खड़े हुए...जहानाबाद से धनरूआ प्रखंड के नीमा प्रखंड में आने वाले शख्स के घर पर हमला.....
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पटना,16 अप्रैल।। क्वारंटाइन में रह चुके लोगों पर हुए एक सर्वे ने यह भी बताया कि सबसे ज्यादा उदासी (73 फीसदी) और चिढ़चिढ़ापन (57 फीसदी) की समस्या देखी गई है। एक्सपर्ट एक जगह सीमित रहने, रोज का रूटीन के खराब होने और सामाजिक संपर्क के कम होने को कारण मानते हैं। अध्ययन यह भी बताते हैं कि माता-पिता की तुलना में बच्चों में क्वारंटाइन की वजह से 4 गुना ज्यादा तनाव होता है। इसी साल जनवरी में इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने भी बताया था कि हर पांच में से एक भारतीय किसी न किसी मानसिक रोग का शिकार है। चिंता की बात यह है कि कोरोना के बाद अगर मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ती है, तो इसके लिए जागरूकता और सुविधाएं, दोनों की ही कमी को जिम्मेदार माना जा सकता है। दुनियाभर में सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में केवल 1 प्रतिशत हेल्थ वर्कर्स ही मेंटल हेल्थ के इलाज से जुड़े हुए हैं। भारत में इसका आंकड़ा और भी कम है। कोरोना के कारण कई लोग क्वारंटाइन, आइसोलेशन में या फिर अकेले रहने को मजबूर हैं। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना और भी जरूरी हो जाता है। क्वारंटाइन में रहने वाले लोगों में संक्रमण का डर, चिढ़चिढ़ापन, बोरियत, जानकारी की कमी या सामान की कमी की चिंता जैसी दिक्कतें सामने आती हैं। अन्य मनोवैज्ञानिक लक्षणों में भावनात्मक अस्थिरता, अवसाद, तनाव, उदासी, चिंता, पैनिक (घबराहट), नींद न आना, गुस्सा भी शामिल है। बिहार के औरंगाबाद जिले से बड़ी खबर सामने आ रही है। दिल्ली से युवक के गांव आने की सूचना पर कोरोना जांच के लिए पहुंची डॉक्टर्स और पुलिस टीम पर ग्रामीणों के द्वारा हमला किए जाने की खबर है। इस हमले में चिकित्सक, ड्राइवर एवं एक अन्य कर्मी को चोट आयी है। ग्रामीणों ने गाड़ियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है। हमले में घायल हुये सभी स्वास्थ्य कर्मी थाने पहुंचे है। मिली जानकारी के अनुसार औरंगाबाद के गोह थाना के अकौनी गांव में बुधवार को दिल्ली से किसी व्यक्ति के आने की सूचना पर कोरोना वायरस की जांच करने गई चिकित्सकों की टीम पर ग्रामीणों ने हमला कर दिया। घटना की सूचना मिलते ही दलबल के साथ गांव पहुंचे एसडीपीओ और एसडीएम पर भी ग्रामीणों ने हमला बोल दिया। इस हमले में एसडीपीओ समेत पुलिस कर्मी घायल हो गए हैं। फिलहाल पुलिस टीम मामले को शांत कराने में जुटी है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले बिहार के मधुबनी, भागलपुर और कटिहार समेत राज्य के कई हिस्सों में डॉक्टरों या पुलिस टीम पर हमले की शिकायत आ चुकी है। औरंगाबाद जिले के गोह प्रखंड स्थित एकौनी गांव में स्क्रीनिंग करने गयी मेडिकल टीम पर ग्रामीणों ने लाठी-डंडे से हमला बोल दिया। इस हमले में आयुष चिकित्सक डॉ अर्जुन कुमार, एएनएम नीलू कुमारी, केयर मैनेजर अनूप कुमार मिश्रा, वाहन चालक सूरज कुमार घायल हो गये। बाद में घटना की सूचना गोह थाने की पुलिस को दी गयी। सूचना मिलते ही गोह बीडीओ संजय पाठक और गोह थानाध्यक्ष दल-बल के साथ एकौनी गांव पहुंचे और स्वास्थ्य कर्मियों को घायल अवस्था में इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोह लाया गया, जहां पर चारों घायलों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया। मेडिकल टीम पर हमले की सूचना मिलने पर दाउदनगर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी राजकुमार तिवारी एकौनी गांव पहुंचे, तो ग्रामीणों ने इन पर भी हमला कर दिया। इसमें एसडीपीओ और उनके अंगरक्षक पिंटू घायल हो गये हैं। घटना के संबंध में बीडीओ संजय पाठक ने बताया कि गांव में एक व्यक्ति बाहर से आया हुआ था। सूचना मिलने पर मेडिकल टीम जब कोरोना वायरस से संबंधित स्क्रीनिंग के लिए गांव पहुंची, तो ग्रामीणों ने हमला बोल दिया। घटना में मेडिकल टीम का वाहन पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है। घटना के बाद प्रशासन आगे की कार्रवाई में जुट गयी है। दाउदनगर की एसडीओ कुमारी अनुपम सिंह ने गांव में हमले की पुष्टि की है। जब सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, धनरूआ की मेडिकल टीम के सदस्यों को भागने को मजबूर होना पड़ा. मेडिकल टीम के सदस्यों ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को एक आवेदन पत्र लिखा है। उन्होंने आवेदन पत्र में उल्लेख किया है कि डाक्टर संजीव कुमार आलोक और डाक्टर धर्मेन्द्र कुमार सिंह के नेतृत्व में एक मेडिकल टीम नदवा गये थे। फील्ड विजिट के दौरान लगभग 40-50 आदमी जमा हो गया और झगड़ा करने पर उतारू हो गये। इस बीच लोग एसडीएम मसौढ़ी को फोन लगाकर गुस्सा में बात किया और हमलोग पर आक्रामक हो गये। उसके बाद हमलोग वहां से भाग खड़े हुए.नहीं तो हो सकता था कि हमलोगों पर अटैक कर देता। अंत में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से निवेदन कि हमलोगों को सुरक्षा प्रदान करने का कष्ट करें. इस आवेदन में हस्ताक्षर करने वालों में डाक्टर संजीव कुमार आलोक, डाक्टर धर्मेन्द्र कुमार सिंह, ए.एन.एम. नीलम कुमारी,मेरीकुट्टी जौर्ज और पूनम कुमारी हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार नदवा में क्वारंटीन छुड़ाने मेडिकल टीम गयी थी। आपलोग डाक्टर साहब से स्क्रीनिंग करवा लें। इतना कहने पर गांव वालों संतुलन खो बैठे। कहने लगे कि आपलोग किट से जांच करें। इसके बाद खुद को कथित पत्रकार कहने वाले शख्स ने एसडीओ,मसौढ़ी के पास पास मोबाइल पर फोन किया। बहुत ही घटिया और उत्तेजना पूर्ण बात करते देख मेडिकल टीम स्थल पर हटकर होशियारी का कार्य किये। क्वारंटीन छुड़ाने के बाद संग्दिध व्यक्तियों को प्रमाण-पत्र दिया जाता है।  धनरूआ प्रखंड के नीमा पंचायत के नरेश रविदास ने बताया कि 2019 में दिल्ली गये थे। वहां सुरक्षा प्रहरी के रूप में काम करते थे। ढाई माह पहले ही दिल्ली से बिहार आ गये। नरेश रविदास ने कहा कि उनका एक पुत्र लव-कुश जहानाबाद में रहता है। वहां से कुछ घंटे के लिए घर आया था। इसके बाद नीमा के लोगों ने घर में चढ़ गये। कहने लगे कि लव-कुश को बाहर निकालो नहीं तो जान मार देंगे। घर में प्रवेश करके लव-कुश को खोजने लगे। जब वह नहीं मिला तो घर पर चढ़ाई करने वाले चले गये। इसके बाद नरेश रविदास ने कहा कि वास्तविकता यह है कि हमलोग महादलितों की संख्या कम है। 25 घर रविदास, 20 घर दुसाध, 6 घर बेलदार और 6 घर मुसहरों का है। यहां पर भूमिहारों की संख्या अधिक है। कोई 700 घर होगा। हम महादलितों को दबाकर रखना चाहते हैं। जब हमलोग शौचालय नहीं बनाएं थे तो उनके ही भूमि पर शौचक्रिया करने जाते थे। इसको लेकर झगड़ा भी हुआ था। वैश्विक कोरोना वायरस की आड़ में अनहोनी करने का विचार बना रखे थे। जो भगवान ने उनके मनसूबे पर पानी फेर दिया। 

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