मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) इन दिनों पूरे भारत मे सम्पूर्ण लॉक डाउन किया गया है। इस दौरान इमरजेंसी ओर आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर सभी सेवा और बाजार सब बन्द करवा दी गयी है। सोशल डिस्टनसिंग को भी कहा गया है। इस विषम परिस्थितियों में मजदूर ओर गरीब वर्ग के लोगों के सामने जिंदगी से जंग जैसी हालात हो चुकी है। हालांकि सरकार तामाङ तरह के वादे ओर पहल कर रही है, परंतु ये मदद भी नाकाफी साबित हो रही है। खासकर जो बिहारी मजदूर बाहर प्रवाश कर रहे थे, वो अपने परिवार के साथ ऐसी इस्तिथि में पलायन को मजबूर हैं। जिनमे कई तो ऐसे हैं जो अपने जिंदगी को वहीं छोड़ पैदल ही घर को निकल चुके हैं, तो कई मजदूर अपने सारे सामान बोरिया-बिस्तारा के साथ अपने रिक्शा ठेला से ही वापस अपने घर को लौट रहे हैं। हालांकि इनमें कई कोरोना पॉजिटिव भी हो सकते हैं, पर एहतियातन स्वास्थ विभाग और पुलिस-प्रशासन चौकस ओर मुस्तैद होकर ऐसे सभी लोगों की जांच कर क्वारेंटाइन किया जा रहा है। ऐसे में एक मजदूर दिल्ली के राजीव चौक से अपने दो रिक्शों के साथ अपने घर सोनबरसा आया, जो मधुबनी जिले में पड़ता है। इसके आने की खबर मिकते ही स्थानीय लोग इसको डॉक्टर के पास ले गए जांच को। जहां डॉक्टर ने पुलिस को खबर कर जांच के लिए पुलिस के साथ बाहर भेज दिया। पूछने पर मजदूर भालेश्वर यादव ने बताया कि इस लॉक दिवन में हमारे सामने भुखमरी की हालात हो गयी थी। पैसा बचा नही था, ओर काम हो नही रहा था। ऐसे में पुलिसवाले भी घर जाने को कह दिए, तो हमने अपने दोनों रिक्शे को लेके साथ दिनों तक रिक्शा चला कर अपने घर आ गए। यहां कम से कम भूख से तो नही मरेंगे। वहीं प्रभारी चिकित्सक ने बताया कि इस मजदूर के आटे ही हमने स्थानीय पुलिस प्रशासन को खबर कर दिया है, वो इसकी जांच कराने को बाहर ले गए हैं। फिलहाल ऐसी कोई बात नही है।
सोमवार, 13 अप्रैल 2020
मधुबनी : रिक्शा से सात दिनों में दिल्ली पहुंचा मधुबनी
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